अग्नि जरत सब कहैं, होइ यह बडा तमासा॥
भारी अचरज होइ, जरै लकरी अरु घासा।
दीपक जरताँ सब कहै, भारी अजरज होइ॥
तेल जरै बाती जरै, दीपक जरै न कोइ।
SUNDARDAS दोहे / सुंदरदास
गेह तज्यो अरु नेह तज्यो / सुंदरदास
एकनि के बचन सुनत / सुंदरदास
बोलिए तौ तब जब / सुंदरदास
ब्रह्म तें पुरुष अरु / सुंदरदास
सुनत नगारे चोट / सुंदरदास
पति सूँ हीं प्रेम होय / सुंदरदास
तेल जरै बाती जरै, दीपक जरै न कोइ / सुंदरदास