भई अब गिरिधर सों पैहचान।
कपट रूप धरि छल के आयौ, परषोत्तम नहिं जान।।
छोटौ बड़ौ कछू नहिं देख्यौ, छाइ रह्यौ अभियान।
"छीतस्वामि" देखत अपनायौ, विट्ठल कृपा निधान।।
धन्य श्री यमुने निधि देनहारी / छीतस्वामी
जय जय श्री सूरजा कलिन्द नन्दिनी / छीतस्वामी
सुमिर मन गोपाल लाल सुंदर अति रूप जाल / छीतस्वामी
गोवर्धन की सिखर चारु पर / छीतस्वामी
आगे गाय पाछें गाय इत गाय उत गाय / छीतस्वामी
हमारे श्री विट्ठल नाथ धनी / छीतस्वामी
जा मुख तें श्री यमुने यह नाम आवे / छीतस्वामी
भोग श्रृंगार यशोदा मैया / छीतस्वामी
बादर झूम झूम बरसन लागे / छीतस्वामी
गुण अपार मुख एक कहाँ लों कहिये / छीतस्वामी
धाय के जाय जो श्री यमुना तीरे / छीतस्वामी
भई अब गिरिधर सों पैहचान / छीतस्वामी
लाल ललित ललितादिक संग लिये / छीतस्वामी
भोर भए नवकुंज सदन तें / छीतस्वामी