Post date: Feb 21, 2018 1:5:35 PM
क्या बताऊं कैसे ख़ुद को दर-ब-दर मैंने किया,
उम्र भर किस-किस के हिस्से का सफ़र मैंने किया ।
तू तो नफ़रत भी न कर पाएगा उस शिद्दत [1] के साथ,
जिस बला का प्यार तुझसे बे-ख़बर मैंने किया ।
कैसे बच्चों को बताऊँ रास्तों के पेचो-ख़म[2]
ज़िन्दगी भर तो किताबों का सफ़र मैंने किया ।
शोहरतों[3] की नज़्र[4] कर दी शे’र की मासूमियत,
इस दिये की रोशनी को दर-ब-दर मैंने किया ।
चंद जज़्बातों से रिश्तों के बचाने को ‘वसीम‘,
कैसा-कैसा जब्र[5] अपने आप पर मैंने किया ।
शब्दार्थ
1अति,तनमन्यता
2घुमाव-फिराव
3प्रसिद्धि
4 भेंट
5अत्याचार