चँदन के चहला मेँ परी परी पँकज की पँखुरी नरमी मैँ ।
धाय धसी खसखानन हाय निकुँजन पुँज भिरी भरमी मैँ ।
त्योँ कवि दत्त उपाय अनेक किए सिगरी सही बेसरमी मैँ ।
सीतल कौन करै छतियाँ बिन प्रीतम ग्रीषम की गरमी मैँ ।
चँदन के चहला मेँ परी परी पँकज की पँखुरी नरमी मैँ / दत्त
ग्रीषम में तपै भीषम भानु,गई बनकुंज सखीन की भूल सों / दत्त