ठन गई!
मौत से ठन गई!
जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,
रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई।
मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं।
मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूँ,
लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूँ?
तू दबे पाँव, चोरी-छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आज़मा।
मौत से बेख़बर, ज़िन्दगी का सफ़र,
शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर।
बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,
दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं।
प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बाक़ी हैं कोई गिला।
हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये,
आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए।
आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,
नाव भँवरों की बाँहों में मेहमान है।
पार पाने का क़ायम मगर हौसला,
देख तेवर तूफ़ाँ का, तेवरी तन गई।
मौत से ठन गई।
पूरा नाम
जन्म
जन्म भूमि
अभिभावक
पति/पत्नी
नागरिकता
पार्टी
पद
कार्य काल
शिक्षा
विद्यालय
भाषा
पुरस्कार-उपाधि
झुक नहीं सकते / अटल बिहारी वाजपेयी
जीवन की ढलने लगी साँझ / अटल बिहारी वाजपेयी
जीवन की ढलने लगी साँझ / अटल बिहारी वाजपेयी
दो अनुभूतियाँ / अटल बिहारी वाजपेयी
आओ फिर से दिया जलाएँ / अटल बिहारी वाजपेयी
क़दम मिला कर चलना होगा / अटल बिहारी वाजपेयी
हरी हरी दूब पर / अटल बिहारी वाजपेयी
हिरोशिमा की पीड़ा / अटल बिहारी वाजपेयी
दूध में दरार पड़ गई / अटल बिहारी वाजपेयी
अंतरद्वंद्व / अटल बिहारी वाजपेयी
एक बरस बीत गया / अटल बिहारी वाजपेयी
पड़ोसी से / अटल बिहारी वाजपेयी
राह कौन सी जाऊँ मैं? / अटल बिहारी वाजपेयी
मैं न चुप हूँ न गाता हूँ / अटल बिहारी वाजपेयी
मनाली मत जइयो / अटल बिहारी वाजपेयी
पुनः चमकेगा दिनकर / अटल बिहारी वाजपेयी
अपने ही मन से कुछ बोलें / अटल बिहारी वाजपेयी
भारत जमीन का टुकड़ा नहीं / अटल बिहारी वाजपेयी
मौत से ठन गई / अटल बिहारी वाजपेयी
जो बरसों तक सड़े जेल में / अटल बिहारी वाजपेयी
क्षमा याचना / अटल बिहारी वाजपेयी
कौरव कौन, कौन पांडव / अटल बिहारी वाजपेयी
अटल बिहारी वाजपेयी
25 दिसंबर, 1924
ग्वालियर, मध्य प्रदेश
पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी और श्रीमती कृष्णा देवी
अविवाहित
भारतीय
भारतीय जनता पार्टी, भारतीय जनसंघ
भारत के 11वें प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री
प्रधानमंत्री-16 मई 1996 – 1 जून 1996 और 19 मार्च 1998 – 19 मई 2004; विदेश मंत्री- 26 मार्च 1977 – 28 जुलाई 1979
स्नातकोत्तर
गोरखी विद्यालय, विक्टोरिया स्कूल (अब रानी लक्ष्मीबाई कॉलेज), डी.ए.वी. महाविद्यालय
हिन्दी, अंग्रेज़ी
पद्म विभूषण, भारत रत्न