Post date: Feb 19, 2018 11:36:59 AM
मत पूछिए कि कैसे सफ़र काट रहे हैं
हर साँस एक सज़ा है मगर काट रहे हैं
ख़ामोश आसमान के साये में बार-बार
हम अपनी तमन्नाओं का सर काट रहे हैं
कमज़ोर छत से आज भी एक ईंट गिरी है
कुछ लोग हैं कि फिर भी गदर काट रहे हैं
आधी हमारी जीभ तो दाँतों ने काट ली
बाकी बची को मौन अधर काट रहे हैं
दो चार हादसों से ही अख़बार भर गए
हम अपनी उदासी की ख़बर काट रहे हैं
हर गाँव पूछता है मुसाफ़िर को रोक कर
हमने सुना है हमको नगर काट रहे हैं
इतनी ज़हर से दोस्ती गहरी हुई कि हम
ओझा के मंत्र का ही असर काट रहे हैं
कुछ इस तरह के हमको मिले हैं बहेलिये
जो हमको उड़ाते हैं न पर काट रहे हैं