गेह तज्यो अरु नेह तज्यो पुनि खेह लगाई कै देह संवारी .
मेह सहे सिर, सीत सहे तन धूप समै जो पंचागिनि बारी.
भूख सही रहि रूख तरे पर सुंदरदास सबै दुख भारी .
डासं छांड़ीकै कासन ऊपर आसन मारयो,तै आस न मारी.
SUNDARDAS दोहे / सुंदरदास
गेह तज्यो अरु नेह तज्यो / सुंदरदास
एकनि के बचन सुनत / सुंदरदास
बोलिए तौ तब जब / सुंदरदास
ब्रह्म तें पुरुष अरु / सुंदरदास
सुनत नगारे चोट / सुंदरदास
पति सूँ हीं प्रेम होय / सुंदरदास
तेल जरै बाती जरै, दीपक जरै न कोइ / सुंदरदास