अंगुलियाँ थाम के कुंवर बेचैन
कफन बाँध कर कुंवर बेचैन
करो हमको न शर्मिंदा कुंवर बेचैन
खुद को नज़र के सामने कुंवर बेचैन
दो दिलों के दरमियाँ कुंवर बेचैन
दोनों ही पक्ष कुंवर बेचैन
नीर की गठरी कुंवर बेचैन
प्यासे होंठों से कुंवर बेचैन
फिर युधिष्ठिर को पुकारा कुंवर बेचैन
बीती नहीं है रात कुंवर बेचैन
मत पूछिए कुंवर बेचैन
ये लफ्ज़ आईने हैं मत इन्हें उछाल के चल/ कुँअर बेचैन
चोटों पे चोट देते ही जाने का शुक्रिया / कुँअर बेचैन
मौत तो आनी है तो फिर मौत का क्यों डर रखूँ / कुँअर बेचैन
कोई रस्ता है न मंज़िल न तो घर है कोई / कुँअर बेचैन
उँगलियाँ थाम के खुद चलना सिखाया था जिसे / कुँअर बेचैन
ज़िंदगी यूँ भी जली, यूँ भी जली मीलों तक / कुँअर बेचैन
औरों के भी ग़म में ज़रा रो लूँ तो सुबह हो / कुँवर बेचै
फूल से लिपटी हुई ये तितलियाँ अच्छी लगीं / कुँवर बेचैन
तेरी हर बात चलकर यूँ भी मेरे जी से आती है /कुँवर बेचैन
देखते ही देखते पहलू बदल जाती है क्यूँ / कुँवर बेचैन
कभी चलता हुआ चंदा कभी तारा बताता है / कुँवर बेचैन
मैं देह का पर्दा हूँ, मैं खुद को हटा लूं क्या / कुँअर बेचैन
घिरा रहता हूँ मैं भी आजकल अनगिन विचारों में / कुँअर बेचैन
वो दिन हमको कितने सुहाने लगेंगे / कुँअर बेचैन