भोर ही नयोति गई ती तुम्हें वह गोकुल गाँव की ग्वालिनी गोरी.
आधिक राति लौं बेनी प्रवीन कहा ढिग राखी करी बरजोरी.
आवै हँसी मोहिं देखत लालन,भाल में दीन्ही महावर घोरी.
एते बड़े ब्रजमंडल में न मिली कहूँ माँगेन्हु रंचक रोरी.
धूधर सी वन, धूमसी धामन / बेनी
करि की चुराई चाल, सिंह को चुरायो कटि / बेनी
भोर ही न्योति गई ती / बेनी
घनसार पटीर मिलै मिलै निर चहै / बेनी
सोभा पाई कुंज भौन / बेनी
जान्यौ न मैं ललिता अलि / बेनी
हाव भाव विविध दिखावै भली भाँतिन सों / बेनी