Post date: Feb 18, 2018 12:29:17 PM
श्रीराधा मोहनजी को रूप निहारो ॥ध्रु०॥
छोटे भैया कृस्न बडे बलदाऊं चंद्रवंस उजिआरो ॥श्री०॥१॥
मोर मुगुट मकराकृत कुंडल पितांबर पट बारो ॥श्री०॥२॥
हलधर गिरधर मदन मनोहर जसुमति नंद दुलारी ॥श्री०॥३॥
शंख चक्र गदा पद्म विराजे असुरन भंजन हारो ॥श्री०॥४॥
जमुनाके नीर तीर धेनु चरावे ओढे कामर कारो ॥श्री०॥५॥
निरमल जल जमुनाजी को किनो नागनाथ लीयो कारो ॥श्री०॥६॥
इंद्र कोप चढे व्रज उपर नखपर गिरवर धारो ॥श्री०॥७॥
कनक सिंहासन जदुवर बैठे कोटि भानु उजिआरो ॥श्री०॥८॥
माता जसोदा करत आरती बार - बार बलिहारो ॥श्री०॥९॥
सूरदास हरि को रूप निहारे जीवन प्रान हमारे ॥श्री०॥१०॥