आज़ादी का दिन मना,
नई ग़ुलामी बीच;
सूखी धरती, सूना अंबर,
मन-आंगन में कीच;
मन-आंगम में कीच,
कमल सारे मुरझाए;
एक-एक कर बुझे दीप,
अंधियारे छाए;
कह क़ैदी कबिराय
न अपना छोटा जी कर;
चीर निशा का वक्ष
पुनः चमकेगा दिनकर
Atal bohari vajpayi
झुक नहीं सकते / अटल बिहारी वाजपेयी
जीवन की ढलने लगी साँझ / अटल बिहारी वाजपेयी
जीवन की ढलने लगी साँझ / अटल बिहारी वाजपेयी
दो अनुभूतियाँ / अटल बिहारी वाजपेयी
आओ फिर से दिया जलाएँ / अटल बिहारी वाजपेयी
क़दम मिला कर चलना होगा / अटल बिहारी वाजपेयी
हरी हरी दूब पर / अटल बिहारी वाजपेयी
हिरोशिमा की पीड़ा / अटल बिहारी वाजपेयी
दूध में दरार पड़ गई / अटल बिहारी वाजपेयी
अंतरद्वंद्व / अटल बिहारी वाजपेयी
एक बरस बीत गया / अटल बिहारी वाजपेयी
पड़ोसी से / अटल बिहारी वाजपेयी
राह कौन सी जाऊँ मैं? / अटल बिहारी वाजपेयी
मैं न चुप हूँ न गाता हूँ / अटल बिहारी वाजपेयी
मनाली मत जइयो / अटल बिहारी वाजपेयी
पुनः चमकेगा दिनकर / अटल बिहारी वाजपेयी
अपने ही मन से कुछ बोलें / अटल बिहारी वाजपेयी
भारत जमीन का टुकड़ा नहीं / अटल बिहारी वाजपेयी
मौत से ठन गई / अटल बिहारी वाजपेयी
जो बरसों तक सड़े जेल में / अटल बिहारी वाजपेयी
क्षमा याचना / अटल बिहारी वाजपेयी
कौरव कौन, कौन पांडव / अटल बिहारी वाजपेयी
दुनिया का इतिहास पूछता / अटल बिहारी वाजपेयी