Post date: Mar 02, 2018 11:0:34 AM
आम मशरिक़ के मुसलमानों का दिल मगरिब में जा अटका है
वहाँ कुंतर सब बिल्लोरी है, यहाँ एक पुराना मटका है
इस दौर में सब मिट जायेंगे, हाँ बाक़ी वो रह जायेगा
जो क़ायम अपनी राह पे है, और पक्का अपनी हट का हे
अए शैख़-ओ-ब्रह्मन सुनते हो क्या अह्ल-ए-बसीरत कहते हैं
गर्दों ने कितनी बुलंदी से उन क़ौमों को दे पटका है