एकनि के बचन सुनत अति सुख होई ,
फल से झरत हैं अधिक मनभावने.
एकनि के बचन पखान बरषत मानौ,
स्रवन कै सुनतहिं लगत अनखावन .
एकनि के बचन कंटक कटुक विषरूप,
करत मरम छेद, दुख उपजावने .
सुंदर कहत घट-घट में बचन भेद ,
उत्तम अरु मध्यम अरु अधम सुनावने.
SUNDARDAS दोहे / सुंदरदास
गेह तज्यो अरु नेह तज्यो / सुंदरदास
एकनि के बचन सुनत / सुंदरदास
बोलिए तौ तब जब / सुंदरदास
ब्रह्म तें पुरुष अरु / सुंदरदास
सुनत नगारे चोट / सुंदरदास
पति सूँ हीं प्रेम होय / सुंदरदास
तेल जरै बाती जरै, दीपक जरै न कोइ / सुंदरदास