आना तेरा दलील जाने की है
हस्ती के लिए ज़रूर इक दिन है फ़ना
ग़ाफ़िल तुझे फ़िक्र आब-ओ-दाने की है
अब गर्म ख़बर मौत के आने की है
बालों पे ग़ुबार-ए-शेब ज़ाहिर है अब मीर अनीस
अब हिन्द की ज़ुल्मत से निकलता हूँ मैं मीर अनीस
आला रुत्बे में हर बशर से पाया मीर अनीस
दुनिया भी अजब सरा-ए-फ़ानी देखी मीर अनीस
दुश्मन को भी दे ख़ुदा न औलाद का दाग़ मीर अनीस
खींचे मुझे मौत ज़िंदगानी की तरफ़ मीर अनीस
अख़्तर से भी आबरू में बेहतर है ये अश्क मीर अनीस
असहाब ने पूछा जो नबी को देखा मीर अनीस
अंजाम पे अपने आह-ओ-ज़ारी कर तू मीर अनीस
ग़फ़लत में न खो उम्र कि पछताएगा मीर अनीस
अफ़ज़ल कोई मुर्तज़ा से हिम्मत में नहीं मीर अनीस
आदम को अजब ख़ुदा ने रुत्बा बख़्शा मीर अनीस
अश्कों में नहाओ तो जिगर ठंडे हों मीर अनीस
हुशियार है सब से बा-ख़बर है जब तक मीर अनीस
बरहम है जहाँ अजब तलातुम है आज मीर अनीस
अब गर्म ख़बर मौत के आने की है मीर अनीस
ऐ शाह के ग़म में जान खोने वालो मीर अनीस
अकबर ने जो घर मौत का आबाद किया मीर अनीस
आदम को ये तोहफ़ा ये हदिया न मिला मीर अनीस
अब ख़्वाब से चौंक वक़्त-ए-बेदारी है मीर अनीस
जिस पर कि नज़र लुत्फ़ की शब्बीर करें मीर अनीस
रुत्बा जिसे दुनिया में ख़ुदा देता है मीर अनीस