घनसार पटीर मिलै नीर चहै, तन लावै न लावै चहै.
न बुझे बिरहागिन झार झरी हू, चहै सुन लागे न लावै चहै.
हम टेरि सुनावतिं बेनी प्रवीन चहै, मन लावै न लावै चहै.
अब आवै विदेस तें पीतं गेह चहै, धन लावै न लावे चहै.
धूधर सी वन, धूमसी धामन / बेनी
करि की चुराई चाल, सिंह को चुरायो कटि / बेनी
भोर ही न्योति गई ती / बेनी
घनसार पटीर मिलै मिलै निर चहै / बेनी
सोभा पाई कुंज भौन / बेनी
जान्यौ न मैं ललिता अलि / बेनी
हाव भाव विविध दिखावै भली भाँतिन सों / बेनी