कुर्सी अक्रूर की हो
कुर्सी अक्रूर की हो
किसी क्रूर तक न जाय,
नेता सुराही और
हुस्नो-हूर तक न जाय।
जन जुल्म के चंगुल से रहें
चार हाथ दूर,
सिंदूर किसी मांग का
तंदूर तक न जाय।
वर्ग-विभाजन
दुनिया में
लोग होते हैं
दो तरह के-
पहले वे
जो जीवन जीते हैं
पसीना बहा के!
दूसरे वे
जो पहले वालों का
बेचते हैं-
रूमाल,
शीतल पेय,
पंखे
और....
ठहाके।
बात
बात होनी चाहिए
सारगर्भित
और छोटी!
जैसे कि
पहलवान की लंगोटी।
इच्छा-शक्ति
ओ ठोकर!
तू सोच रही
मैं बैठ जाऊंगी
रोकर,
भ्रम है तेरा
चल दूंगी मैं
फ़ौरन
तत्पर होकर।
ओ पहाड़!
कितना भी टूटे
हंस ले खेल बिगाड़,
मैं भी मैं हूं
नहीं समझ लेना
मुझको खिलवाड़।
ओ बिजली!
तूने सोचा
यूं मर जाएगी
तितली,
बगिया जल जाएगी
तितली रह जाएगी इकली।
कुछ भी कर ले
पंख नए
भीतर से उग आएंगे,
देखेगी तू
नन्हीं तितली
फिर उड़ान पर निकली।
ओ तूफ़ान!
समझता है
हर लेगा मेरे प्रान,
तिनका तिनका बिखराकर
कर देगा लहूलुहान!
इतना सुन ले
कर्मक्षेत्र में
जो असली इंसान,
उन्हें डिगाना
अपने पथ से
नहीं बहुत आसान।
ओ आंधी!
तूने भी
दुष्चक्रों की खिचड़ी रांधी,
जितना भैरव-नृत्य किया
मेरी जिजीविषा बांधी।
परपीड़ा सुख लेने वाली
तू भी इतना सुन ले
मेरे भी अंदर जीवित हैं
युग के गौतम-गांधी।
अरी हवा!
तू भी चाहे तो
दिखला अपना जलवा,
भोले नन्हें पौधे पर
मंडरा बन मन का मलवा।
कितनी भी प्रतिकूल बहे
पर इतना तू भी
सुन ले-
पुन: जमेगा
इस मिट्टी में
तुलसी का ये बिरवा।
बढ़ता हुआ बच्चा
मैग्ज़ीन पढ़ रही है मां
बच्चा सो रहा है,
बच्चे के हाथ में भी
एक किताब है
पढे़ कैसे
वह तो सो रहा है।
हिचकियां ले रहा है
और बड़ा हो रहा है।
बढ़ता हुआ बच्चा
जब और और बढ़ेगा,
तो मां से भी ज़्यादा
किताबें पढ़ेगा।
मज़ा तो तब आएगा,
जब वो
किसी अनपढ़ मां को
पढ़ाएगा।
आपकी नाकामयाबी
नन्हा बच्चा
जिस भी उंगली को पकड़े
कस लेता है,
और
अपनी पकड़ की
मज़बूती का
रस लेता है।
आप कोशिश करिए
अपनी उंगली छुड़ाने की।
नहीं छुड़ा पाए न!
वो आपकी नाकामयाबी पर
हंस लेता है।
और पकड़ की
मज़बूती का
भरपूर रस लेता है।
पोपला बच्चा
बच्चा देखता है
कि मां उसको हंसाने की
कोशिश कर रही है।
भरपूर कर रही है,
पुरज़ोर कर रही है,
गुलगुली बदन में
हर ओर कर रही है।
मां की नादानी को
ग़ौर से देखता है बच्चा,
फिर कृपापूर्वक
अचानक...
अपने पोपले मुंह से
फट से हंस देता है।
सोचता है
ख़ूब फंसी
मां भी मुझमें ख़ूब फंसी,
फिर दिशाओं में गूंजती है
फेनिल हंसी।
मां की भी
पोपले बच्चे की भी।