Post date: Feb 19, 2018 11:35:42 AM
फिर युधिष्ठिर को पुकारा है समय के यक्ष ने
कान में इतना ही पीपल के कहा वटवृक्ष ने
यह न कहिएगा कि यह आयोजकों का दोष है
यह सभा खुद ही विसर्जित की सभा अध्यक्ष ने
अब हमें शूलों की भी राहों पै चलना आ गया
यह बड़ा अच्छा हुआ काँटे दिए प्रतिपक्ष ने
द्वार पर कब आएगा दीपावली का जन्म दिन
हर कलैंडर से यही पूछा अंधेरे कक्ष ने
खून का कतरा कोई दिल में न बच पाएगा कल
इस कदर चोटें सही हैं इस सदी के वक्ष ने