अगर हम नहीं देश के काम आए
धरा क्या कहेगी
गगन क्या कहेगा?
किरण प्रात आह्वान है
ठोस श्रम का
चलो आइना तोड़
रख दें अहम का
अगर हम नहीं वक्त पर जाग पाए
सुबह क्या कहेगी
पवन क्या कहेगा?
मदिर गंध का अर्थ है
खूब महकें
पड़े संकटों की
भले मार - चहकें
अगर हम नहीं फूल-सा मुस्कुराए
व्यथा क्या कहेगी
चमन क्या कहेगा?
बहुत हो चुका स्वर्ग
भू पर उतारें
करें कुछ नया, स्वस्थ
सोचें-विचारें
अगर हम नहीं ज्योति बन झिलमिलाए
निशा क्या कहेगी
भुवन क्या कहेगा?
- डॉ. इसाक अश्क