Post date: Mar 02, 2018 11:4:35 AM
उक़ाबी[1]शान से झपटे थे जो बे-बालो-पर[2]निकले
सितारे शाम को ख़ूने-फ़लक़[3]में डूबकर निकले
हुए मदफ़ूने-दरिया[4]ज़ेरे-दरिया[5]तैरने वाले
तमाँचे[6]मौज [7]के खाते थे जो बनकर गुहर [8]निकले
ग़ुबारे-रहगुज़र[9]हैं कीमिया[10]पर नाज़ [11]था जिनको
जबीनें[12]ख़ाक पर रखते थे जो अक्सीरगर निकले
हमारा नर्म-रौ [13]क़ासिद[14]पयामे-ज़िन्दगी[15]लाया
ख़बर देतीं थीं जिनको बिजलियाँ वोह बेख़बर निकले
जहाँ में अहले-ईमाँ[16]सूरते-ख़ुर्शीद[17]जीते हैं
इधर डूबे उधर निकले , उधर डूबे इधर निकले
शब्दार्थ
1 गिद्ध पक्षी जैसी
2 बिना बालों और परों के
3 सूर्यास्त-समय की क्षितिज की लालिमा
4 दरिया में दफ़्न
5 दरिया की निचली सतह पर
6 थपेड़े
7 लहर
8 मोती
9 रास्ते की धूल
10 Alchemy,अन्य धतुओं को स्वर्ण में परिवर्तित करने की कला
11 गर्व
12 माथे
13 सुस्त चाल वाला
14 सन्देशवाहक
15 जीवन का सन्देश
16 ईमानदार लोग
17 सूर्य की भाँति