Post date: Feb 18, 2018 2:8:12 PM
सितम सिखलाएगा रस्मे-वफ़ा ऐसे नहीं होता
सनम दिखलाएँगे राहे-ख़ुदा ऐसे नहीं होता
गिनो सब हसरतें जो ख़ूँ हुई हैं तन के मक़तल[1] में
मेरे क़ातिल हिसाबे-खूँबहा[2]ऐसे नहीं होता
जहाने दिल में काम आती हैं तदबीरें न ताज़ीरें[3]
यहाँ पैमाने-तस्लीमो-रज़ा[4]ऐसे नहीं होता
हर इक शब हर घड़ी गुजरे क़यामत, यूँ तो होता है
मगर हर सुबह हो रोजे़-जज़ा[5], ऐसे नहीं होता
रवाँ है नब्ज़े-दौराँ[6], गार्दिशों[7] में आसमाँ सारे
जो तुम कहते हो सब कुछ हो चुका, ऐसे नहीं होता
शब्दार्थ
1 हत्यास्थल 2 ख़ून के बदले का हिसाब 3 न युक्तियाँ न सज़ाएँ
4 हर बात मानने की प्रतिज्ञा 5 फ़ल-प्राप्ति का दिन
6 युग की धड़कन 7 चक्कर