Post date: Feb 18, 2018 1:46:22 PM
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तजू[1] ही सही
नहीं विसाल मयस्सर[2] तो आरज़ू ही सही
न तन में ख़ून फ़राहम[3] न अश्क आँखों में
नमाज़-ए-शौक़ तो वाजिब[4] है बे-वज़ू ही सही
यही बहुत है केः सालिम है दिल का पैराहन
ये चाक-चाक गरेबान बेरफ़ू ही सही
किसी तरह तो जमे बज़्म मैकदे वालो
नहीं जो बादा-ओ-साग़र तो हा-ओ-हू ही सही
गर इन्तज़ार कठिन है तो जब तलक ऐ दिल
किसी के वादा-ए-फ़र्दा[5] से गुफ़्तगू ही सही
दयार-ए-ग़ैर[6] में महरम[7] अगर नहीं कोई
तो 'फ़ैज़' ज़िक्र-ए-वतन अपने रू-ब-रू[8] ही सही
शब्दार्थ
1 तलाश 2 उपलब्ध 3 मौजूद 4 आवश्यक
5 कल के वादे 6 पराई धरती 7 अपना 8 समक्ष