Post date: Feb 18, 2018 2:4:39 PM
हम केः ठहरे अजनबी इतनी मदारातों[1] के बाद
फिर बनेंगे आशना[2] कितनी मुलाक़ातों के बाद
कब नज़र में आयेगी बे-दाग़ सब्ज़े की बहार
ख़ून के धब्बे धुलेंगे कितनी बरसातों के बाद
थे बहुत बे-दर्द लम्हे ख़त्मे-दर्दे-इश्क़[3] के
थीं बहुत बे-मह्र[4] सुब्हें मह्रबाँ रातों के बाद
दिल तो चाहा पर शिकस्ते-दिल[5] ने मोहलत[6] ही न दी
कुछ गिले-शिकवे भी कर लेते, मुनाजातों[7] के बाद
उनसे जो कहने गए थे “फ़ैज़” जाँ सदक़ा[8] किए
अनकही ही रह गई वो बात सब बातों के बाद
शब्दार्थ
1 आवभगत 2 परिचित 3प्रेम की पीड़ा की समाप्ति के क्षण 4 निर्दयी
5दिल की हार 6अवकाश 7 प्रार्थना-गीत 8 प्राण न्यौछावर