Post date: Feb 18, 2018 2:11:38 PM
इश्क़ मिन्नतकशे-क़रार[1] नहीं
हुस्न मज़बूरे-इंतज़ार नहीं
तेरी रंजिश की इंतिहा मालूम
हसरतों का मिरी शुमार नहीं
अपनी नज़रें बिखेर दे साक़ी
मय बअंदाज़ः-ए-ख़ुमार[2] नहीं
ज़ेरे-लब है अभी तबस्सुमे-दोस्त
मुन्तशिर[3] जल्वः-ए-बहार नहीं
अपनी तकमील[4] कर रहा हूँ मैं
वरनः तुझसे तो मुझको प्यार नहीं
चारः-ए-इंतज़ार[5] कौन करे
तेरी नफ़रत भी उस्तवार नहीं
'फ़ैज़' ज़िंदा रहें वो हैं तो सही
क्या हुआ गर वफ़ाशेआ'र[6] नहीं
शब्दार्थ
1 चैन का इच्छुक 2 उतरा नशा पूरा करने भर को 3 विच्छिन्न, बिखरा हुआ
4 पूर्ति 5 प्रतीक्षा का समधान 6वफ़ा करने वाला