दाने की न पानी की, न आवै सुध खाने की,
याँ गली महबूब की अराम खुसखाना है ।
रोज ही से है जो राजी यार की रजाय बीच,
नाज की नजर तेज तीर का निशाना है ।
सूरत चिराग रोशनाई आसनाई बीच,
बार बार बरै बलि जैसे परवाना है ।
दिल से दिलासा दीजै हाल के न ख्याल हूजै,
बेखुद फकीर, वह आशिक दिवाना है ।
1. प्रेमरंग-पगे जगमगे जगे / आलम शेख
2. चंद्रिका चकोर देखै निसि दिन करै लेखै / आलम शेख
4. जा थल कीन्हें बिहार अनेकन/ आलम शेख
6. रात के उनींदे अरसाते/ आलम शेख
8. निधरक भई, अनुगवति है नंद घर/ आलम शेख
9. सौरभ सकेलि मेलि केलि ही की बेलि कीन्हीं/ आलम शेख
10. सुधा को समुद्र तामें, तुरे है नक्षत्र कैधों/ आलम शेख
11. कछु न सुहात पै उदास परबस बास/ आलम शेख