ॐ जय जगदीश हरे
ॐ जय जगदीश हरे
ओम जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दासजनो कें संकट क्षण में दूर करे
जो ध्यावे फल पावे
दुख विनसे मनका ।
स्वामी दुख विनसे मनका ।
सुख संपति घर आवे ।
सुख संपति घर आवे ।
कष्ट मिटे तनका ॥ १ ॥
ॐ जय जगदीश हरे ॥
माता पिता तुम मेरे
शरण पडूं मैं किसकी ।
स्वामी शरण पडूं मैं किसकी ।
तुम बिन और न दुजा,
तुम बिन और न दुजा ।
आस करूं मैं जिसकी ।
तुम पूरण-परमात्मा,
तुम अंतर्यामी ।
स्वामी तुम अंतर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर,
पारब्रह्म परमेश्वर ।
तुम सब के स्वामी ॥ २ ॥
ॐ जय जगदीश हरे ॥
तुम करुणाके सागर ,
तुम पालन करता ।
स्वामी तुम पालन करता ।
मैं मूरख खल कामी ,
मै सेवक तुम स्वामी ।
कृपा करो स्वामी ।
तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति ।
स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूं दयामय,
किस विधि मिलूं दयामय ।
तुमको मैं कुमति ॥ ३ ॥
ॐ जय जगदीश हरे ॥
दीनबंधु दुखहर्ता,
ठाकुर तुम मेरे ।
स्वामी ठाकुर तुम मेरे ।
अपने हाथ उठाओ,
अपने शरण लगाओ ।
द्वार पड़ा तेरे ।
विषय विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा ।
स्वमी पाप हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ ।
संतन की सेवा ॥ ४ ॥
ॐ जय जगदीश हरे ॥