के आसन् ते अज्ञातनामानः? शतशः सहस्रशः तडागाः सहसैव शून्यात् न प्रकटीभूताः। इमे एव तडागाः अत्र संसारसागराः इति। एतेषाम् आयोजनस्य नेपथ्ये निर्मापयितणाम् एककम्, निर्मातृणां च दशकम् आसीत्। एतत् एककं दशकं च आहत्य शतकं सहस्रं वा रचयतः स्म।
सरलार्थ - वे अज्ञात नाम वाले कौन थे? सैकड़ों हज़ारों तालाब अचानक ही शून्य से प्रकट नहीं हुए हैं। ये ही तालाब यहाँ संसार रूपी सागर हैं। इनकी आयोजना के पीछे बनवाने वालों की इकाई और बनाने वालों की दहाई थी। यह इकाई और दहाई मिलकर सैकड़ों अथवा हज़ारों को बनाते थे।
परं विगतेषु द्विशतवर्षेषु नूतनपद्धत्या समाजेन यत्किञ्चित पठितम्। पठितेन तेन समाजेन एककं दशकं सहस्रञ्च इत्येतानि शून्ये एव परिवर्तितानि। अस्य नूतनसमाजस्य मनसि इयमपि जिज्ञासा नैव उद्भूता यद् अस्मात्पूर्वम् एतावतः तडागान् के रचयन्ति स्म।
सरलार्थ- परन्तु पिछले दो सौ वर्षों में नई पद्धति से समाज ने जो कुछ पढ़ा है। उस पढ़े हुए समाज से इकाईए दहाई और सैकड़ा ये शून्य में ही बदल गए हैं। इस नए समाज के मन में यह जानने की इच्छा भी नहीं पैदा हुई कि इससे पहले इन तालाबों को किसने बनाया था।
एतादृशानि कार्याणि कर्तुं ज्ञानस्य यो नूतनः प्रविधिः विकसितः, तेन प्रविधिनाSपि पूर्वं सम्पादितम् एतत्कार्यं मापयितुं न केनापि प्रयतितम्। अद्य ये अज्ञातनामानः वर्तन्ते, पुरा ते बहुप्रथिताः आसन्। अशेषे हि देशे तडागाः निर्मीयन्ते स्म, निर्मातारोSपि अशेषे देशे निवसन्ति स्म। गजधरः इति सुन्दरः शब्दः तडागनिर्मातृणां सादरं स्मरणार्थम्।
सरलार्थ- ऐसे कार्य करने के लिए ज्ञान की जो नई तकनीक विकसित हुई उस तकनीक से भी पहले किए गए इस कार्य को नापने के लिए किसी ने भी प्रयत्न नहीं किया। आज जो अपरिचित नाम वाले हैंए पहले वे बहुत प्रसिद्ध थे। निश्चय ही सम्पूर्ण देश में तालाब बनाए जाते थे। बनाने वाले भी सम्पूर्ण देश में रहते थे। गजधर यह सुन्दर शब्द तालाब बनाने वालों के सादर स्मरण के लिए है।
राजस्थानस्य केषुचिद् भागेषु शब्दोSयम् अद्यापि प्रचलति। कः गजधरः? यः गजपरिमाणं धारयति स गजधरः। गजपरिमाणम् एव मापनकार्ये उपयुज्यते। समाजे त्रिहस्त-परिमाणात्मिकीं लौहयष्टिं हस्ते गृहीत्वा चलन्तः गजधराः इदानीं शिल्पिरूपेण नैव समादृताः सन्ति। गजधरः, यः समाजस्य गाम्भीर्यं मापयेत् इत्यस्मिन् रूपे परिचितः।
सरलार्थ- राजस्थान के कुछ भागों में यह शब्द आज भी प्रचलित है। गजधर कौन होता हैघ् जो गज के माप को धारण करता है। वह गजधर होता है। गज का माप ही नापने के काम में उपयोगी होता है। समाज में तीन हाथ के बराबर लोहे की छड़ को हाथ में लेकर चलते हुए गजधर आजकल कारीगर के रूप में आदर नहीं पाते हैं। गजधर जो समाज की गम्भीरता को नापे इसी रूप में जाने जाते हैं।
गजधराः वास्तुकाराः आसन्। कामं ग्रामीणसमाजो भवतु नागरसमाजो वा तस्य नव-निर्माणस्य सुरक्षाप्रबन्धनस्य च दायित्वं गजधराः निभालयन्ति स्म। नगरनियोजनात् लघुनिर्माणपर्यन्तं सर्वाणि कार्याणि एतेष्वेव आधृतानि आसन्। ते योजनां प्रस्तुवन्ति स्म, भाविव्ययम् आकलयन्ति स्म, उपकरणभारान् सघ्गृह्णन्ति स्म।
सरलार्थ- गजधर वास्तुकार थे। चाहे ग्रामीण समाज हो अथवा शहरी समाज। उसके नवनिर्माण की और सुरक्षा प्रबन्ध की जिम्मेदारी गजधर निभाते थे। नगर की योजना से लेकर छोटे से निर्माण तक सारे कार्य इन्हीं पर ही आधारित थे। वे योजना को प्रस्तुत करते थेए आने वाले खर्च का अनुमान करते थे। साधन सामग्री को इकट्ठा करते थे।
प्रतिदाने ते न तद् याचन्ते स्म यद् दातुं तेषां स्वामिनः असमर्थाः भवेयुः। कार्यसमाप्तौ वेतनानि अतिरिच्य गजधरेभ्यः सम्मानमपि प्रदीयते स्म। नमः एतादृशेभ्यः शिल्पिभ्यः।
सरलार्थ- बदले में वे वह (धन) नहीं माँगते थे जिसे देने में उनके मालिक असमर्थ हों। काम के अन्त में वेतन के अतिरिक्त गजधरों को सम्मान भी दिया जाता था। ऐसे शिल्पियों को नमस्कार है।