(1) उत्सवप्रियः भारतदेशः। अत्र कुत्रचित् शस्योत्सवः भवति, कुत्रचित् पशूत्सवः भवति, कुत्रचित् धार्मिकोत्सवः भवति कुत्रचित् च यानोत्सवः। एतेषु एव अस्ति अन्यतमः पुष्पोत्सवः इति। अयं ‘फूलवालों की सैर’ इति नाम्ना प्रसिद्धः अस्ति।
सरलार्थ- भारत उत्सव प्रेमी देश है। यहाँ कहीं पर (फसलों) का उत्सव होता है, कहीं पर पशुओं का उत्सव होता है। कहीं पर धार्मिक उत्सव होता है तो कहीं पर गाड़ियों का उत्सव होता है। इनमें से एक है- पुष्पोत्सव (फूलों का उत्सव)। यह "फूल वालों की सैर' इस नाम से प्रसिद्ध है।
(2) देहल्याः मेहरौलीक्षेत्रे ऑक्टोबर्मासे अस्य आयोजनं भवति। अस्मिन् अवसरे तत्र बहुविधानि पुष्पाणि दृश्यन्ते। परं प्रमुखम् आकर्षणं तु अस्ति पुष्पनिर्मितानि व्यजनानि।
सरलार्थ- देहली के मेहरौली क्षेत्र में अक्टूबर के महीने में इसका आयोजन होता है। इस अवसर पर अनेक प्रकार के फूल दिखाई देते हैं। किंतु मुख्य आकर्षण होता है-' फूलों से बने पंखे।'
(3) जनाः एतानि पुष्पव्यजनानि योगमायामन्दिरे बख्तियारकाकी इत्यस्य समाधिस्थले च अर्पयन्ति। केचन पाटलपुष्पैः निर्मितानि, केचन कर्णिकारपुष्पैः, अन्ये जपाकुसुमैः, अपरे मल्लिकापुष्पैः, इतरे च गेन्दापुष्पैः निर्मितानि व्यजनानि नयन्ति।
सरलार्थ- लोग इन फूलों के पंखों को योगमाया के मंदिर में बख्तियार काकी की समाधि पर अर्पित करते हैं। कुछ गुलाब के फूलों से बने होते हैं, कुछ कनेर के फूलों से, कुछ जवा फूलों से, कुछ चमेली के फूलों से दूसरे गेंदा फूलों से बने पंखे ले जाते हैं।
(4) अयम् उत्सवः दिवसत्रयं यावत् प्रचलति। एतेषु दिवसेषु पतङ्गानाम् उड्डयनम्, विविधाः क्रीडाः मल्लयुद्धं चापि प्रचलति। विगतेभ्यः द्विशतवर्षेभ्यः पुष्पोत्सवः जनान् आनन्दयति।
सरलार्थ- यह उत्सव तीन दिन तक चलता रहता है। इन दिनों में पतंगों का उड़ाना, विविध खेल और कुश्ती भी चलती है। गत दो सौ साल से पुष्पोत्सव लोगों को आनंदित कर रहा है।
(5) मध्ये इयं परम्परा स्थगिता आसीत्। परं स्वतन्त्रताप्राप्तेः पश्चात् इयं मनोहारिणी परम्परा पुनः समारब्धा। पुष्पोत्सवः अद्यापि सोल्लासं सोत्साहं च प्रचलति।
सरलार्थ- बीच में यह परंपरा स्थगित हो गई थी। किंतु स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यह मनोहारी प्रथा पुनः शुरू हो गई है। पुष्पोत्सत आज भी उत्साहपूर्वक और उल्लासपूर्वक चलता है।