(1) एषः समुद्रतटः। अत्र जनाः पर्यटनाय आगच्छन्ति। केचन तरंगै: क्रीडन्ति। केचन च नौकाभिः जलविहारं कुर्वन्ति। तेषु केचन कन्दुकेन क्रीडन्ति। बालिकाः बालकाः च बालुकाभिः बालुकागृहं रचयन्ति। मध्ये मध्ये तरंगा: बालुकागृहं प्रवाहयन्ति। एषा क्रीडा प्रचलति एव। समुद्रतटाः न केवलं पर्यटनस्थानानि। अत्र मत्स्यजीविनः अपि स्वजीविकां चालयन्ति।
सरलार्थ - यह समुद्र तट है। यहाँ लोग घूमने के लिए आते हैं। कुछ लहरों के साथ खेलते हैं। कुछ नावों के द्वारा जलक्रीड़ा करते हैं। उनमें कुछ गेंद से खेलते हैं। लड़कियां और लड़के रेत के द्वारा बालू का घर बनाते हैं। बीच-बीच में लहरें बालू के घर को बहा ले जाती हैं। यह खेल चलता रहता है। समुद्रतट केवल भ्रमणस्थल ही नहीं है। यहाँ मछुआरे भी अपनी जीविका चलाते हैं।
(2) अस्माकं देशे बहवः समुद्रतटाः सन्ति। एतेषु मुम्बई-गोवा-कोच्चि- कन्याकुमारी-विशाखापत्तनम्-पुरीतटाः अतीव प्रसिद्धाः सन्ति। गोवातटः विदेशिपर्यटकेभ्यः समधिकं रोचते। विशाखापत्तनम्-तटः वैदेशिकव्यापाराय प्रसिद्धः। कोच्चितटः नारिकेलफलेभ्यः ज्ञायते। मुम्बईनगरस्य जुहूतटे सर्वे जनाः स्वैरं विहरन्ति। चेन्नईनगरस्य मेरीनातटः देशस्य सागरतटेषु दीर्घतमः।
सरलार्थ- हमारे देश में बहुत से समुद्र तट हैं। इनमें मुम्बई गोवाए कोच्चिए कन्याकुमारीए विशाखापत्तनम् और पुरी के तट बहुत प्रसिद्ध हैं। गोवा का तट विदेशी पर्यटकों को बहुत अच्छा लगता है। विशाखापत्तनम् का तट विदेशी व्यापार के लिए प्रसिद्ध है। कोच्चि का तट नारियल के फलों के लिए जाना जाता है। मुम्बई नगर के जुहू तट पर सभी लोग इच्छानुसार घूमते रहते हैं। चेन्नई नगर का मेरीना तट देश के सागर तटों में सबसे बड़ा है।
(3) भारतस्य तिसृषु दिशासु समुद्रतटाः सन्ति। अस्माद् एव कारणात् भारतदेशः प्रायद्वीपः इति कथ्यते। पूर्वदिशायां बंगोपसागरः दक्षिणदिशायां हिन्दमहासागरः पश्चिमदिशायां च अरबसागरः अस्ति। एतेषां त्रयाणाम् अपि सागराणां संगमः कन्याकुमारीतटे भवति।अत्र पूर्णिमायां चन्द्रोदयः सूर्यास्तं च युगपदेव द्रष्टुं शक्यते।
सरलार्थ- भारत के तीनों दिशाओं समुद्रतट हैं। इस कारण से ही भारत देश प्रायद्वीप कहा जाता है। पूर्व दिशा में बंगाल की खाड़ीए दक्षिण दिशा में हिन्द महासागर और पश्चिम दिशा में अरब सागर है। इन तीनों सागरों का संगम भी कन्याकुमारी के तट पर होता है। यहाँ पूर्णिमा के दिन चन्द्रोदय व सूर्यास्त एक साथ देख सकते हैं।