क्रीडास्पर्धा
(खेल का मुकाबला अथवा खेल की प्रतियोगिता)
(1) हुमा - यूयं कुत्र गच्छथ?
इन्दरः - वयं विद्यालयं गच्छामः।
फेकनः - तत्र क्रीडास्पर्धाः सन्ति। वयं खेलिष्यामः।
रामचरणः- कि स्पर्धाः केवलं बालकेभ्यः एव सन्ति?
सरलार्थ- हुमा- तुम सब कहां जा रहे हो?
इंदर- हम सब विद्यालय जा रहे हैं।
फेकन- वहां खेल की प्रतियोगिताएं हैं। हम सब खेलेंगे।
रामचरण- क्या प्रतियोगिताएं केवल बालकों के लिए ही है?
(2) प्रसन्ना - नहि, बालिकाः अपि खेलिष्यन्ति।
रामचरणः- कि यूयं सर्वे एकस्मिन् दले स्थ? अथवा पृथक्-पृथक् दले?
प्रसन्ना - तत्र बालिकाः बालकाः च मिलित्वा खेलिष्यन्ति।
फेकनः - आम्, बैडमिटन-क्रीडायां मम सहभागिनी जूली अस्ति।
सरलार्थ- प्रसन्ना- नहीं लड़कियां भी खेल सकेंगी।
रामचरण- क्या तुम सब एक ही दल में होघ् अथवा अलग-अलग दलों में?
प्रसन्ना- वहां लड़कियां और लड़के मिलकर खेलेंगे।
फेकन- हां बैडमिंटन के खेल में मेरी सहभागी जूली है।
(3) प्रसन्ना - एतद् अतिरिक्तं कबड्डी, नियुद्धं, क्रिकेटं, पादकन्दुकं, हस्तकन्दुकं, चतुरङ्गः इत्यादयः स्पर्धाः भविष्यन्ति।
इन्दरः हुमे! कि त्वं न क्रीडसि? तव भगिनी तु मम पक्षे क्रीडति।
हुमा- नहि, मह्यं चलचित्रं रोचते। परम् अत्र अहं दर्शकरूपेण स्थास्यामि।
सरलार्थ- प्रसन्ना- इसके अलावा कबड्डी, जूड़ो, क्रिकेटए फुटबॉल, वॉलीबॉल, शतरंज आदि की प्रतियोगिताएं होंगी।
इंदर- हे हुमा! क्या तुम नहीं खेल रही हो? तुम्हारी बहन तो मेरे पक्ष में खेल रही है।
हुमा- नहीं मुझे चलचित्र (वीडियो, टीवी) अच्छा लगता है। परंतु यहां मैं दर्शक के रूप में रहूंगी।
(4) फेकनः - अहो! पूरनः कुत्र अस्ति? कि सः कस्यामपि स्पर्धायां प्रतिभागी नास्ति?
रामचरणः- सः द्रष्टुं न शक्नोति। तस्मै अस्माकं विद्यालये पठनाय तु विशेषव्यवस्था वर्तते। परं क्रीडायै प्रबन्धः नास्ति।
सरलार्थ- फेकन- ओहो! पूरण कहां है? क्या वह किसी भी प्रतियोगिता में प्रतिभागी नहीं है?
रामचरण- वह देख नहीं सकता है। उसके लिए हमारे विद्यालय में पढ़ने के लिए तो विशेष व्यवस्था है। लेकिन खेलने के लिए व्यवस्था नहीं है।
(5) हुमा - अयं कथमपि न न्यायसङ्गतः। पूरनः सक्षमः, परं प्रबन्धस्य अभावात् क्रीडितुं न शक्नोति।
इन्दरः - अस्माकं तादृशानि अनेकानि मित्रणि सन्ति। वस्तुतः तानि अन्यथासमर्थानि।
सरलार्थ- हुमा- यह किसी भी प्रकार से न्यायसंगत नहीं है (अर्थात उचित नहीं है) पूरण सक्षम हैं। लेकिन व्यवस्था के अभाव से वह खेल नहीं सकता है।
इंदर- हम सबके उसके जैसे अनेक मित्र हैं। वास्तविक रूप से वह सब भिन्न तरीके से योग्य हैं।
(6) फेकनः- अतः वयं सर्वे प्राचार्यं मिलामः। तं कथयामः। शीघ्रमेव तेषां कृते व्यवस्था भविष्यति।
सरलार्थ- फेकन- इसलिए हम सब प्राचार्य जी से मिलते हैं। उनको कहते हैं। शीघ्र ही उनके लिए व्यवस्था हो जाएगी।