(केचन बालकाः काश्चन बालिकाश्च स्वतन्त्रता-दिवसस्य ध्वजारोहणसमारोहे सोत्साहं गच्छन्तः परस्परं संलपन्ति।)
देवेशः - अद्य स्वतन्त्रता-दिवसः। अस्माकं विद्यालयस्य प्राचार्यः ध्वजारोहणं करिष्यति। छात्रश्च सांस्कृतिककार्यक्रमान् प्रस्तोष्यन्ति। अन्ते च मोदकानि मिलिष्यन्ति।
सरलार्थ- (कुछ बालक और कुछ बालिकाएं स्वतंत्रता दिवस के ध्वजारोहण समारोह में उत्साह के साथ जाते हुए आपस में बातचीत कर रहे हैं।)
देवेश - आज स्वतंत्रता दिवस है। हमारे विद्यालय के प्राचार्य झंडारोहण करेंगे और छात्राएं सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करेगी और अंत में लड्डू मिलेंगे।
डेविडः - शुचे! जानासि त्वम्? अस्माकं ध्वजः कीदृशः?
शुचिः - अस्माकं देशस्य ध्वजः त्रिवर्णः इति।
सलीमः - रुचे! अयं त्रिवर्णः कथम्?
रुचिः - अस्मिन् ध्वजे त्रयः वर्णाः सन्ति, अतः त्रिवर्णः। कि त्वम् एतेषां वर्णानां नामानि जानासि?
सरलार्थ- डेविड - हे शुचि! क्या तुम जानती होघ् हमारा झंडा कैसा है।
शुचि - हमारे देश का झंडा तिरंगा है।
सलीम - हे रुचि! यह तिरंगा क्यों है।
रुचि - इस झंडे में तीन रंग हैए इसलिए तिरंगा है। क्या तुम इसके रंगों के नाम जानते हो।
सलीमः - अरे! केशरवर्णः, श्वेतः, हरितः च एते त्रयः वर्णाः।
देवेशः - अस्माकं ध्वजे एते त्रयः वर्णाः किं सूचयन्ति?
सलीमः - शृणु, केशरवर्णः शौर्यस्य, श्वेतः सत्यस्य, हरितश्च समृद्धेः सूचकाः सन्ति।
शुचिः - किम् एतेषां वर्णानाम् अन्यदपि महत्त्वम्?
सरलार्थ- सलीम - अरे! केसरिया रंगए सफेद और हरा रंग ये तीन रंग है।
देवेश - हमारे झंडे में यह तीन रंग क्या सूचित करते हैं।
सलीम - सुनोए केसरिया रंग वीरता काए सफेद सच्चाई का और हरा रंग समृद्धि का सूचक है।
शुचि - क्या इन वर्णो के दूसरा भी महत्व है।
डेविडः - आम्! कथं न? ध्वजस्य उपरि स्थितः केशरवर्णः त्यागस्य उत्साहस्य च सूचकः। मध्ये स्थितः श्वेतवर्णः सात्त्विकतायाः शुचितायाः च द्योतकः। अधः स्थितः हरितवर्णः वसुन्धरायाः सुषमायाः उर्वरतायाश्च द्योतकः।
तेजिन्दरः - शुचे! ध्वजस्य मध्ये एकं नीलवर्णं चक्रं वर्तते?
सरलार्थ- डेविड - हाँ! क्यों नहींघ् झंडे के ऊपर स्थित केसरिया रंग त्याग और उत्साह का सूचक है। बीच में स्थित सफेद रंग सात्विकता और शुचिता का द्योतक है। नीचे स्थित हरा रंग धरती की सुषमा और उर्वरता का द्योतक है।
तेजिंदर दृ हे शुचि! झंडे के बीच में एक नीले रंग का चक्र है।
शुचिः- आम् आम्। इदम् अशोकचक्रं कथ्यते। एतत् प्रगतेः न्यायस्य च प्रवर्तकम्। सारनाथे अशोकस्तम्भः अस्ति। तस्मात् एव एतत् गृहीतम्।
प्रणवः - अस्मिन् चक्रे चतुर्विंशतिः अराः सन्ति।
मेरी - भारतस्य संविधानसभायां 22 जुलाई 1947 तमे वर्षे समग्रतया अस्य ध्वजस्य स्वीकरणं जातम्?
सरलार्थ- शुचि - हाँ हाँ। इसे अशोक चक्र कहते हैं। यह प्रगति और न्याय का प्रवर्तक है। सारनाथ में अशोक स्तंभ है। वहीं से यह लिया गया है।
प्रणव - इस चक्र में 24 अरे हैं।
मेरी - भारत की संविधान सभा में 22 जुलाई 1947 के वर्ष में पूर्ण रूप से इस झंडे को स्वीकार किया गया था।
तेजिन्दरः - अस्माकं त्रिवर्णः ध्वजः स्वाधीनतायाः राष्ट्रगौरवस्य च प्रतीकः। अत एव स्वतन्त्रतादिवसे गणतन्त्रदिवसे च अस्य ध्वजस्य उत्तोलनं समारोहपूर्वकं भवति।
जयतु त्रिवर्णः ध्वजः, जयतु भारतम्।
सरलार्थ- तेजिंदर- हमारा तिरंगा झंडा स्वाधीनता और राष्ट्र के गौरव का प्रतीक है। इसलिए स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर इस झंडे का उत्तोलन समारोहपूर्वक होता है।
तिरंगे झंडे की जय भारत की जय।