अद्य सम्पूर्णविश्वे “डिजिटलइण्डिया” इत्यस्य चर्चा श्रूयते। अस्य पदस्य कः भावः इति मनसि जिज्ञासा उत्पद्यते। कालपरिवर्तनेन सह मानवस्य आवश्यकताsपि परिवर्तते। प्राचीनकाले ज्ञानस्य आदान-प्रदानं मौखिकम् आसीत्, विद्या च श्रुतिपरम्परया गृह्यते स्म। अनन्तरं तालपत्रोपरि भोजपत्रोपरि च लेखनकार्यम् आरब्धम्। परवर्तिनि काले कर्गदस्य लेखन्याः च आविष्कारेण सर्वेषामेव मनोगतानां भावानां कर्गदोपरि लेखनं प्रारब्धम्।
सरलार्थ- आज पूरे विश्व में डिजिटल इंडिया की चर्चा सुनी जा रही है। इस शब्द का क्या भाव है यह जानने की इच्छा उत्पन्न होती है। समय बदलने के साथ-साथ मानव की आवश्यकता भी बदलती है। प्राचीन समय में ज्ञान का आदान-प्रदान मौखिक (बोलकर) था, और विद्या श्रुति-परम्परा (सुनने की परंपरा) से सीखी जाती थी। बाद में ताल के पत्तों और भोज के पत्तों पर लिखना प्रारम्भ हुआ। बदलते समय के साथ कागज और पेन के अविष्कार से सभी ने अपने मन के विचारों को कागज पर लिखना प्रारंभ किया।
टंकणयन्त्रस्य आविष्कारेण तु लिखिता सामग्री टंकिता सती बहुकालाय सुरक्षिता अतिष्ठत्। वैज्ञानिकप्रविधेः प्रगति यात्रा पुनरपि अग्रे गता। अद्य सर्वाणि कार्याणि संगणकनामकेन यन्त्रेण साधितानि भवन्ति। समाचार-पत्राणि, पुस्तकानि च कम्प्यूटरमाध्यमेन पठ्यन्ते लिख्यन्ते च। कर्गदोद्योगे वृक्षाणाम् उपयोगेन वृक्षाः कर्त्यन्ते स्म, परम् संगणकस्य अधिकाधिक-प्रयोगेण वृक्षाणां कर्तने न्यूनता भविष्यति इति विश्वासः। अनेन पर्यावरणसुरक्षायाः दिशि महान् उपकारो भविष्यति।
सरलार्थ- टाइपिंग यंत्र (Typewriter) के अविष्कार से तो लिखी गयी सामग्री टाइप होकर बहुत समय तक सुरक्षित होने लगी। वैज्ञानिक तकनीक की प्रगति यात्रा और अधिक आगे गई। आज सभी कार्य कंप्यूटर नामक यंत्र से हो रहे हैं। समाचार-पत्र और पुस्तकें कंप्यूटर के माध्यम से ही पढ़ी और लिखी जा रही हैं। कागज के उद्योग में पेड़ों के उपयोग के कारण पेड़ काटे जा रहे थे, परंतु कंप्यूटर के अधिकाधिक प्रयोग से पेड़ों के कटने में कमी आएगी ऐसा विश्वास है। इससे पर्यावरण सुरक्षा की दिशा में बहुत बडा उपकार होगा।
अधुना आपणे वस्तुक्रयार्थम् रूप्यकाणाम् अनिवार्यता नास्ति। “डेबिट कार्ड” , “क्रेडिट कार्ड” इत्यादयः सर्वत्र रूप्यकाणां स्थानं गृहीतवन्तः। वित्तकोशस्य (बैंकस्य) चापि सर्वाणि कार्याणि संगणकयन्त्रेण सम्पाद्यन्ते। बहुविधाः अनुप्रयोगाः (APP) मुद्राहीनाय विनिमयाय (Cashless Transaction) सहायकाः सन्ति।
सरलार्थ- आज बाजार में सामान खरीदने के लिए रुपयों की अनिवार्यता नहीं है। "डेबिट-कार्ड" और "क्रेडिट-कार्ड" आदि सभी जगह रुपयों का स्थान ले चुके हैं। बैंक के सभी कार्य कंप्यूटर से ही किए जाते हैं। बहुत से प्रकार के अनुप्रयोग (APP) मुद्राविहीन विनिमय (Cashless Transaction) के लिए सहायक हैं।
कुत्रापि यात्रा करणीया भवेत् रेलयानयात्रापत्रस्य, वायुयानयात्रापत्रस्य अनिवार्यता अद्य नास्ति। सर्वाणि पत्राणि अस्माकं चलदूरभाषयन्त्रे ‘ई-मेल’ इति स्थाने सुरक्षितानि भवन्ति यानि सन्दर्श्य वयं सौकर्येण यात्रयाः आनन्दं गृह्णीमः। चिकित्सालयेSपि उपचारार्थं रूप्यकाणाम् आवश्यकताद्य नानुभूयते। सर्वत्र कार्डमाध्यमेन, ई-बैंकमाध्यमेन शुल्कं प्रदातुं शक्यते।
सरलार्थ- कहीं पर यात्रा करनी है तो रेल टिकट और हवाई जहाज के टिकट की अनिवार्यता अब नहीं है। सभी टिकट हमारे मोबाइल फ़ोन के "ईमेल" में सुरक्षित होते है जिसे दिखलाकर हम आसानी से यात्रा का आनंद लेते हैं। चिकित्सालय में भी उपचार के लिए रुपयों की आवश्यकता महसूस नहीं होती है। सभी जगह कार्ड के माध्यम से और इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से शुल्क (Fee) दिया जा सकता है।
तद्दिनं नातिदूरम् यदा वयम् हस्ते एकमात्रं चलदूरभाषयन्त्रमादाय सर्वाणि कार्याणि साधयितुं समर्थाः भविष्यामः। वस्त्रपुटके रूप्यकाणाम् आवश्यकता न भविष्यति। ‘पास्बुक’ चैक्बुक’ इत्यनयोः आवश्यकता न भविष्यति। पठनार्थं पुस्तकानां समाचारपत्रणाम् अनिवार्यता समाप्तप्राया भविष्यति। लेखनार्थम् अभ्यासपुस्तिकायाः कर्गदस्य वा, नूतनज्ञानान्वेषणार्थं शब्दकोशस्याsपि आवश्यकता न भविष्यति। अपरिचित-मार्गस्य ज्ञानार्थं मार्गदर्शकस्य मानचित्रस्य आवश्यकतायाः अनुभूतिः अपि न भविष्यति। एतत् सर्वं एकेनैव यन्त्रेण कर्तुं, शक्यते।
सरलार्थ- वह दिन दूर नहीं जब हम हाथ में केवल मोबाइल फ़ोन लेकर ही सभी कार्य करने में समर्थ हो जाएंगे। जेब में रुपयों की आवश्यकता नहीं होगी। "पासबुक" और "चेकबुक" की भी आवश्यकता नहीं होगी। पढ़ने के लिए पुस्तकों की और समाचार पत्रों की आवश्यकता भी लगभग समाप्त हो जाएगी। लिखने के लिए अभ्यास पुस्तिका अथवा कागज़ की, नए ज्ञान को ढूंढने के लिए अथवा शब्दकोश की भी आवश्यकता नहीं होगी। किसी नए रास्ते के ज्ञान के लिए मार्गदर्शक के रुप में मानचित्र की आवश्यकता भी अनुभव नहीं होगी। यह सभी कार्य एक ही यंत्र से कर सकेंगे।
शाकादिक्रयार्थम्, फलक्रयार्थम्, विश्रामगृहेषु कक्षं सुनिश्चितं कर्तुं, चिकित्सालये शुल्कं प्रदातुम्, विद्यालये महाविद्यालये चापि शुल्कं प्रदातुम्, किं बहुना दानमपि दातुं चलदूरभाषयन्त्रमेव अलम्। डिजीभारतम् इति अस्यां दिशि वयं भारतीयाः द्रुतगत्या अग्रेसरामः।
सरलार्थ- सब्जी आदि खरीदने के लिए, फल खरीदने के लिए, विश्रामगृह में कमरा निश्चित करने के लिए, चिकित्सालय में शुल्क जमा कराने के लिए, विद्यालय और महाविद्यालय में शुल्क जमा करने के लिए, क्या अधिक दान देने के लिए भी मोबाइल फ़ोन ही पर्याप्त है। "डिजिटल भारत" (Digital India) इस दिशा में हम भारतीय तीव्र गति से आगे बढ़ रहे हैं।