(1) मालिनी - (प्रतिवेशिनीं प्रति) गिरिजे! मम पुत्रः मातुलगृहं प्रति प्रस्थितः काचिद् अन्यां कामपि महिला कार्यार्थं जानासि तर्हि प्रेषय।
गिरिजा - आम् सखि! अद्य प्रातः एव मम सहायिका स्वसुतायाः कृते कर्मार्थं पृच्छति स्म। श्वः प्रातः एव तया सह वार्तां करिष्यामि।
सरलार्थ- मालिनी - (पड़ोसन से) हे गिरजा! मेरा पुत्र मामा के घर गया है। कोई दूसरी काम वाली महिला काम के लिए जानती हो तो भेजो।
गिरिजा- हां सहेली! आज सुबह ही मेरी कामवाली अपनी पुत्री के लिए काम के लिए पूछ रही थी। कल सुबह ही उसके साथ बात करूंगी।
(2) (अग्रिमदिने प्रातः काले षट्वादने एव मालिन्याः गृहघण्टिका आगन्तारं कमपि सूचयति मालिनी द्वारमुदघाटयति पश्यति यत् गिरिजायाः सेविकया दर्शनया सह एका अष्टवर्षदेशीय, बालिका तिष्ठति)
सरलार्थ- (अगले दिन सुबह 6.00 ही बजे ही मालिनी के घर की घंटी आने वाले किसी की सूचना देती है। मालिनी दरवाजा खोलती है। देखती है कि गिरिजा की कामवाली दर्शना के साथ एक 8 वर्ष की लड़की खड़ी है)
(3) दर्शना - महोदये! भवती कार्यार्थं गिरिजामहोदयां पृच्छति स्म कृपया मम सुतायै अवसरं प्रदाय अनुगृह्णातु भवती।
मालिनी - परमेषा तु अल्पवयस्का प्रतीयते। किं कार्यं करिष्यत्येषा? अयं तु अस्याः अध्ययनस्य क्रीडनस्य च कालः।
सरलार्थ-दर्शना- महोदया जी! आपने काम के लिए गिरिजा महोदया से पूछा था। कृपया मेरी पुत्री को अवसर प्रदान कर अनुग्रहित करें आप।
मालिनी- लेकिन यह तो कम आयु की जान प्रतीत होती है। यह क्या कार्य कर सकेगी। यह तो इसकी पढ़ाई और खेलने का समय है।
(4) दर्शना - एषा एकस्य गृहस्य संपूर्ण कार्यं करोति स्म। सः परिवारः अधुना विदेशं प्रति प्रस्थितः। कार्याभावे अहमेतस्यै कार्यमेवान्वेषयामि स्म येन भवत्सदृशानां कार्यं प्रचलेत् अस्मद्सदृशानां गृहसञ्चालनाय च धनस्य व्यवस्था भवेत्।
मालिनी - परमेतत्तु सर्वथाsनुचितम्। किं न जानासि यत् शिक्षा तु सर्वेषां बालकानां सर्वासां बालिकानां च मौलिकः अधिकारः।
सरलार्थ-दर्शना- यह एक घर का पूरा कार्य करती थी। वह परिवार अब विदेश चला गया है। काम के अभाव में मैं इसके लिए कार्य की तलाश कर रही थी जिससे आप जैसों का कार्य चले और हमारे जैसों के घर के संचालन के लिए धन की व्यवस्था हो सके।
मालिनी- लेकिन यह तो पूरी तरह से अनुचित है। क्या नहीं जानती हो कि शिक्षा तो सभी बालकों का और बालिकाओं का मूल अधिकार है।
(5) दर्शना - महोदये! अस्मद् सदृशानां तु मौलिकाः अधिकाराः केवलं स्वोदरपूर्त्ति-रेवास्ति। एतस्य व्यवस्थायै एव अहं सर्वस्मिन् दिने पञ्च-षड्गृहाणां कार्यं करोमि। मम रुग्णः पतिः तु किञ्चिदपि कार्यं न करोति। अतः अहं मम पुत्री च मिलित्वा परिवारस्य भरण-पोषणं कुर्वः। अस्मिन् महार्घताकाले मूलभूतावश्यकतानां कृते एव धनं पर्याप्त न भवति तर्हि कथं विद्यालयशुल्कं, गणवेषं पुस्तकान्यादीनि क्रेतुं धनमानेष्यामि।
सरलार्थ- दर्शना- महोदया जी हम जैसों का तो मौलिक अधिकार केवल अपने पेट की पूर्ति ही है। इसकी व्यवस्था के लिए ही मैं सारे दिन 5-6 घरों का कार्य करती हूं। मेरे बीमार पति तो कुछ भी कार्य नहीं करते हैं इसलिए मैं और मेरी पुत्री मिलकर के परिवार के भरण पोषण करते हैं। इस महंगाई के समय में मूलभूत आवश्यकताओं के लिए ही धन पर्याप्त नहीं होता है तो विद्यालय का शुल्क, गणवेश, पुस्तक आदि को खरीदने के लिए धन कैसे लाऊंगी।
(6) मालिनी - अहो! अज्ञानं भवत्याः। किं न जानासि यत् नवोत्तर-द्वि-सहस्र (2009) तमे वर्षे सर्वकारेण सर्वेषां बालकानां, सर्वासां बालानां कृते शिक्षायाः मौलिकाधिकारस्य घोषणा कृता। यदनुसारं षड्वर्षेभ्यः आरभ्य चतुदर्शवर्षपर्यन्तं सर्वे बालाः समीपस्थं सर्वकारीयं विद्यालयं प्राप्य न केवलं निःशुल्कं शिक्षामेव प्राप्स्यन्ति अपितु निःशुल्कं गणवेषं पुस्तकानि, पुस्तकस्यूतम्, पादत्रणम्, माध्याह्नभोजनम्, छात्रवृत्तिम् इत्यादिकं सर्वमेव प्राप्स्यन्ति।
सरलार्थ- मालिनी- ओहो! आपका अज्ञान है। क्या नहीं जानती हो कि 2009 में सरकार ने सभी बालक और सभी बालिकाओं के लिए शिक्षा के मौलिक अधिकार की घोषणा की थी। जिसके अनुसार 6 वर्ष से आरंभ करके 14 वर्ष तक सभी बालक पास के सरकारी विद्यालय में जाकर न केवल निशुल्क शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे अपितु निशुल्क गणवेश, पुस्तकें, पुस्तकों का थैला, जूते, मध्याह्न भोजन, छात्रवृति आदि सभी ही प्राप्त करेंगे।
(7) दर्शना - अप्येवम् (आश्चर्येण मालिनी पश्यति)
मालिनी - आम्। वस्तुतः एवमेव।
सरलार्थ- दर्शना- ऐसा भी है (आश्चर्य से मालिनी को देखती है)
मालिनी- हा। वस्तुत ऐसा ही है।
(8) दर्शना - (कृतार्थतां प्रकटयन्ती) अनुगृहीताsस्मि महोदये! एतद् बोधनाय। अहम् अद्यैवास्याः प्रवेशं समीपस्थे विद्यालये कारयिष्यामि। दर्शनायाः- पुत्री- (उल्लासेन सह) अहं विद्यालयं गमिष्यामि! अहमपि पठिष्यामि! (इत्युक्त्वा करतलवादनसहितं नृत्यति मालिनीं प्रति च कृतज्ञतां ज्ञापयति)
सरलार्थ- दर्शना- (कृतज्ञता प्रकट करते हुए) महोदय जी! मैं अनुग्रहित हूंए यह जानने के लिए। मैं आज ही इसका प्रवेश पास के विद्यालय में कर आऊंगी। दर्शना की पुत्री (खुशी के साथ) मैं विद्यालय जाऊंगी! मैं भी पढुंगी! (ऐसा कहकर ताली बजाने के साथ नाचती है और मालिनी के प्रति कृतज्ञता प्रकट करती है)