यूपी के मंत्री

एक नेता जी, जो नीर क्षीर के मंत्री भी है, यू पी के एक जिले के महिला अस्पताल में रात को पहुँचे। वैसे तो वो जिले में पानी की समस्याओं का निवारण करने के लिये आये थे लेकिन सूखे के कारण लोग उन्हे पीट ना दे, इसलिये वे सीधे अस्पताल पहुँच गये थे, कि अगर पिटे तो इलाज जल्दी से मिल जाये। अचानक उन्हे पता नही क्या सूझा, सीधे प्रसूति कक्ष में पहुच गये और नर्स को अपना परिचय दिया।

"मैं मंत्री हूँ। डिलिवरी की समस्या के लिये आया हूँ।"

नर्स, जो काम में ब्यस्त थी, सही जवाब दिया, "यहाँ पुरुषो की डिलिवरी की कोई व्यवस्था नही है।"

मंत्री जी को बड़ा अटपटा लगा, उन्होने पुन: कहा, "आप समझती नही है। मैं मंत्री हूँ। डिलिवरी की समस्या के लिये आया हूँ।"

नर्स, जो रात के समय काम में ब्यस्त थी, पुन: बोली, "यहाँ पुरुषो की डिलिवरी की कोई व्यवस्था नही है। अगर समस्या ज्यादा है तो सी एम ओ से बात करे।"

मंत्री जी को गुस्सा आ गया। सीधी सी एम ओ को दूरध्वनी पर डाट लगाई, "आप को समझ में नही आता कि हम यहाँ पर डिलिवरी कीस समस्या लेकर आये है और तुम्हारी नर्स कह रही है कि यहाँ पुरुषो की डिलिवरी की कोई व्यवस्था नही है। क्या समझ रखा है। जल्दी आओ नही तो तुम्हारी कुर्सी खा जाऊँगा।"

सी एम ओ को भी नही समझ आ रहा था कि आखिर मंत्री जी को डिलिवरी की समस्या कैसे हो गई। फिर सोचा यह तो यू पी है, जहाँ स्कोर्पियों खड्डों में नही सपाट सड़क पर पलट जाती है। हो सकता है कि मंत्री जी की कुछ अलग ही समस्या हो।"  सी एम ओ दौड़े दौड़े अस्पताल पहुँचे और जी सर जी सर से उनकी आव भगत करने लगे। मंत्री जी ने साफ कहा कि इस नर्स को तुरंत हटाओं। नही तो मैं तुम्हे हटवा दूँगा। सी एम ओ साहब करते क्या ना करते, उन्हे नर्स को हटाना पड़ा। लेकिन वे आज तक नही समझ पाये कि मंत्री जी को डिलिवरी की समस्या कैसे हो गई।


अस्वीकरण : यह ब्यंगात्मक लघुकथा पूर्णत: काल्पनिक है। इसका किसी जीवित या म्रत जीव से कोई भी संबन्ध नही है। यदि ऐसा होता है तो ये केवल महज संयोग है। क्रपया ब्यंगात्मक लघुकथा का आनन्द ले।