Visit My Youtube Channel for Additional Resources....
उस रोज मुझे नई भर्ती की साक्षात्कार के दौरान अभ्यर्थियों के कागजो की पुनर्वीक्षा का मौका मिला। दूर दराज से आये हुये अभ्यर्थियो के मन में एक अजीब सा कौतूहल था। सब एक दूसरे के पुराने परिणामों के आधार पर स्वयं का आकलन और मूल्याँकन कर रहे थे। कुछ स्वयं को सर्वोपरि दिखाने की कोशिश कर रहे थे और कुछ अपनी सफलता और असफलता के विचार के द्वंद से जूझ रहे थे। तभी मेरी मेज पर एक बाईस साल का नौजवान अपने कागज लेकर आया। देखने में संभ्रात लग रहा था। एक ही नजर में उसकी छवि आँखो में छप गई। "जूते नही पहने आपने?" मैने उससे पूछा। "सर, कुछ नही, किसी ने ट्रेन में चुरा लिये। पैसे नही थे इसलिये नये नही खरीदे। बाहर रास्ते में किसी ने ये पुरानी चप्पले पहनने के लिये दे दी।" उसने सकुचाते हुये उत्तर दिया। "कोई बात नही। बैठ जाइयें। पानी पियेगें।" मैने उसे दिलासा देने की कोशिश की। उसकी स्थिति को देखकर मुझे अपने संघर्ष के दिन याद आ गयें। जब एक बार भिण्ड में परीक्षा देने गया था। ट्रेन से इटावा पहुँचने के बाद हमने रात्रि स्टेशन में गुजारी। किसी की स्थिति मुझसे भी ज्यादा दयनीय होगी। इसीलिये वो मेरी टूटी चप्पले रात्रि में बिना पूँछे ले गया। इटावा से भिण्ड तक गर्मी में बिना चप्पलो के रास्ता तय किया। डायट का पता पूछते हुये कई तंग गलियो से गुजरे। एक दयावान ब्यक्ति ने जब मुझे बिना चप्पलों के रास्ता तय करते हुये देखा तो उसने हमें अपने नई चप्पले पहनने के लिये भेंट की। स्वाभिमानी मन ने इस शर्त पर चप्पले स्वीकार की कि परीक्षा के बाद मै जब आपको चप्पले वापस करूँ तो आपको इन्हे वापस लेना होगा। मुझे उस ब्यक्ति का चेहरा और पता याद नही है किन्तु ऐसी समान स्थिति में, जैसा कि मेरे सामने बैठे नवयुवक के साथ घटित हुअ, उसकी मदद अभी भी मस्तिष्क में उभर आती है।
इस गुजरी हुयी घटना को मैने उस नवयुवक के सामने कुछ शब्दो में रखा ताकि उसे जूते ना पहनने से उत्पन्न हीन भावना को कम कर सकू और वह आत्मविश्वास से स्वयं को साक्षात्कार बोर्ड के सामने प्रस्तुत कर सके। झटपट में ही उसके सारे कागजात सत्यापित हो गये और उसे साक्षात्कार के लिये अन्दर भेज दिया गया। साक्षात्कार के बाद जब मैं उससे वापस मिला तो उसके चेहरे की चमक उसकी सफलता का भविष्य बता रही थी। मैने उसे यूँ ही टोका, "भाई इन चप्पलों को कभी भी मत भूलना।" वह भी मुस्कुराते हुये बोला, "सर कभी नही। इस जीवन में तो कभी नही।"