सुप्तघ्न-सुमेधा
Puraanic contexts of words like Suprateeka, Suprabhaa, Subaahu, Subhadraa, Sumati, Sumanaa , Sumaalee / Sumali, Sumukha etc. are given here.
सुप्तघ्न वा.रामायण ७.५,
सुप्रतिष्ठित अग्नि ९६, कथासरित् १६.२.८९
सुप्रतीक ब्रह्माण्ड २.३.७.३३१(हस्ती, वरुण का वाहन), २.३.७.३४१(हस्ती, वैरूप साम से उत्पत्ति), भविष्य ३.४.१७(दिग्गज, ध्रुव व दिशा - पुत्र), वराह १०(विद्युत्प्रभाव कान्तिमती - पति सुप्रतीक के पुत्र दुर्जय का आख्यान), १२(सुप्रतीक द्वारा भगवत्स्तुति, विग्रह में लीन होना), वायु ६९.२०९(स्कन्द ३.१.३८(सुप्रतीक व भ्राता विभावसुद्वारा परस्पर शाप - प्रतिशाप, गज व कच्छप बनना), ४.२.६६.२८(सुप्रतीकेश्वर लिङ्ग का संक्षिप्त माहात्म्य ), कथासरित् १.१.५९, २.१.१४, suprateeka/ supratika
सुप्रभ वराह १६(सुप्रभ की मणि से उत्पत्ति, प्रजापाल नाम से जन्मान्तर में ख्याति), ३६२, वामन ५७.७२(धाता द्वारा कुमार को प्रदत्त गण), स्कन्द ६.१९९.११३(सुप्रभब्राह्मण द्वारा स्वपुत्री का विवाह ब्राह्मण वेश धारी चाण्डाल से करना), ७.३.२९(सुप्रभ द्वारा मृगी के वध से व्याघ्र| बनना, कपिला गौ से संवाद से मुक्ति ), कथासरित्९.३.११८, suprabha
सुप्रभा अग्नि २९८.१८(अविधिपूर्वक ओषधि ग्रहण पर ओषधि प्रभाव ग्रहण करनेv वाली देवी), भविष्य ३.४.१५.२६(नलकूबर - पत्नी सुप्रभा द्वारा रावण को शाप),मार्कण्डेय ११४.२४, वामन ३७(ब्रह्मा के यज्ञ में आहूत सरस्वती का रूप), योव १.९.२१(दक्ष - कन्या सुप्रभा व कृशाश्व मुनि से ५० पुत्र रूप शस्त्रों की उत्पत्ति), वा.रामायण१.२१(दक्ष - कन्या, कृशाश्व - पत्नी, ५० शस्त्रों की माता ), लक्ष्मीनारायण १.५४३.७१, कथासरित् ८.३.१८३, द्र. भूगोल suprabhaa
सुप्रभात वामन १४.२१(सुप्रभातम् स्तोत्र का वर्णन), लक्ष्मीनारायण २.२६.६६सुप्रभातम् स्तोत्र
सुप्रहार कथासरित् १६.२.११४,
सुप्राज्ञा पद्म ७.३३(कोचरश राजा की भार्या सुप्राज्ञा द्वारा शौरि ब्राह्मण से एकादशी व्रत माहात्म्य व पूर्व जन्म के वृत्तान्त का वर्णन ) supraajnaa/ suprajnaa
सुप्रिय शिव ३.४२, ४.३०(सुप्रिय वैश्य द्वारा दारुक दैत्य की पीडा से मुक्ति हेतु शिव पूजन, दैत्य का नाश ), लक्ष्मीनारायण १.५४३.७५सुप्रिया supriya
सुबन्धु कथासरित् १.५.११५
सुबल गणेश १.१.२९(राजा सोमकान्त के ५ मन्त्रियों में से एक),
सुबालक मत्स्य २०(ब्रह्मदत्त के मन्त्री का पुत्र, पूर्व जन्म में कौशिक ऋषि - पुत्र )
सुबाहु कूर्म १.२४.६०(सुबाहु गन्धर्व द्वारा ह्रीमती से पुत्रों की प्राप्ति), गर्ग ७.२६.१८(रङ्गवल्लीपुर - राजा सुबाहु द्वारा प्रद्युम्न को भेंट), देवीभागवत ३.१५+, ३.१८+(काशिराज सुबाहु द्वारा शशिकला पुत्री का स्वयंवर में विवाह, विरोधियों पर विजय पर दुर्गा की स्तुति आदि), पद्म २.९४.३४(सुबाहु द्वारा शव भक्षण की कथा, श्वेत राजासे साम्य), २.९६(सुबाहु का स्व पुरोहित जैमिनी से स्वर्ग - नरक प्रापक कर्म व दान धर्म फल विषयक वार्तालाप, स्वर्ग में आकर स्व शव का भक्षण ; तुलनीय : श्वेत द्वाराशव भक्षण), ५.२३+ (चक्राङ्का नगरी का राजा, शत्रुघ्न का आगमन व युद्ध, हनुमान से युद्ध, समर्पण), ५.६५.६३(दमन - पिता, राम के हयमेध अश्व को पकडना वयुद्ध आदि), ५.६७.३८(सत्यवती - पति), भविष्य ३.३.३२, मार्कण्डेय २६(मदालसा - पुत्र), ४४(सुबाहु का काशिराज के पास सहायता के लिए गमन), वामन५७.७९(गण्डकी द्वारा कुमार को प्रदत्त गण), स्कन्द ४.२.६७.११२(सुबाहु दानव द्वारा गन्धर्व - कन्या रत्नावली का हरण, रत्नचूड/शङ्खचूड नागकुमार द्वारा सुबाहु कावध), ५.२.६६.४, ५.२.६९(कलिङ्ग के राजा सुबाहु द्वारा पत्नी से शिरोव्यथा के कारण रूप में पूर्व जन्म के वृत्तान्त का कथन, खङ्गमेश्वर लिङ्ग पूजा से मुक्ति),वा.रामायण १.३०(ताटका - पुत्र, राम द्वारा वध), ७.१०८.१०(शत्रुघ्न - पुत्र, मधुरा - अधिपति ), लक्ष्मीनारायण १.३९३, ३.५१.६३, कथासरित् ८.४.५६, १०.२.५, subaahu/ subahu
सुब्रह्मण्य वराह २१.१७(दक्ष यज्ञ में वसिष्ठ के सुब्रह्मण्य बनने का उल्लेख), लक्ष्मीनारायण २.२४५ subrahmanya
सुभगा नारद १.६६.१३५(मुण्डी गणेश की शक्ति सुभगा का उल्लेख), १.६६.१३६(मेघनाद गणेश की शक्ति सुभगा का उल्लेख), लक्ष्मीनारायण १.२६१.१४(उपेन्द्र कीशक्ति सुभगा का उल्लेख ) subhagaa
सुभट कथासरित् ८.१.४३, १०.२.५,
सुभद्र भविष्य २.२.२.४७, भागवत २.४.१५-१७(सुभद्रश्रव, ११.३०(सुभद्र का सङ्ग्रामजित् से युद्ध), मत्स्य ४६.२२सौभद्र, स्कन्द १.२.३(सुभद्र द्वारा देवशर्मा सेपुण्यदान प्राप्ति का वृत्तान्त), २.२.२८.४५(सुभद्र के यजुर्वेद की मूर्ति होने का उल्लेख ), महाभारत कर्ण ४४.८, वा.रामायण ३.३५.३६, लक्ष्मीनारायण १.३५०, subhadra
सुभद्रा गर्ग १.५.२८(शतरूपा का अंश), देवीभागवत ३.२६(१० वर्षीया कन्या का नाम), नारद २.५५.६७(सुभद्रा पूजा मन्त्र), पद्म ७.१८.४२(जगन्नाथ क्षेत्र में सुभद्रा कीमहिमा), ब्रह्मवैवर्त्त ४.६.१८४(शतरूपा का अंशावतार), ४.१०९(रुक्मिणी - माता, वियोग में रोदन), भागवत १०.८६(अर्जुन द्वारा सुभद्रा हरण का प्रसंग), मत्स्य४६.१५(वसुदेव व देवकी - पुत्री, कृष्ण - भगिनी), विष्णुधर्मोत्तर २.४४.१९(पूर्व भाग में दिग्धेनु), स्कन्द २.२.१९.२१, २.२.१९.४६, २.२.२०.२३(सुभद्रा का देवारणि केरूप में उल्लेख), २.२.२५.९(सुभद्रा के रथ के पद्मध्वज का उल्लेख), २.२.२७, २.२.२८(यजुर्वेद का स्वरूप), ५.३.१९८.८३, ६.८४(कृष्ण - भगिनी, लक्ष्मी द्वाराशापित माधवी का रूप), ७.१.३२(दधीचि - पत्नी, पिप्पलाद - माता, दधीचि को शाप ), ७.१.२४०, हरिवंश १.३५, लक्ष्मीनारायण १.४९३, कथासरित् ८.२.३३३subhadraa
सुभीमा हरिवंश २.१०३.१२(कृष्ण - भार्या सुभीमा के पुत्रों के नाम )
सुभूति कथासरित् १२.६.२०८
सुमङ्गला कथासरित् १८.५.१७५
सुमति अग्नि १०७, गर्ग ७.२६.३७(आर्ष्टिषेण - भ्राता सुमति गन्धर्व का हनुमान के शाप से सर्प बनना, कृष्ण - पुत्रों द्वारा उद्धार), नारद १८, १.२०(सत्यमति - पति राजासुमति द्वारा द्वादशी को ध्वजारोपण कर्म, विभाण्डक मुनि का आगमन, पूर्व जन्म में मालिनी शूद्र, वृत्तान्त), पद्म १.४०(मरुतों में से एक), २.८.५८(ज्ञान से वर्धित, शरीरसे वृद्ध, वृद्धा युवती का नाम), २.८.६२, ५.१४(राम के मन्त्री सुमति द्वारा शत्रुघ्न को च्यवन के वृत्तान्त का वर्णन), ५.२६, ब्रह्म २.८.५८, २.१०१(प्रमति - पुत्र,देवलोक में पिता के पाशबद्ध होने पर मुक्ति का उद्योग), ब्रह्माण्ड ३.५१(सगर - भार्या), भागवत ५.१५(भरत - पुत्र, वृद्धसेना - पति, देवताजित् - पिता), मार्कण्डेय १०,१३, ११६, लिङ्ग २.२७.१९८(सुमति व्यूह का वर्णन), विष्णु ४.४.१, स्कन्द २.१.१४(सुमति द्विज द्वारा किराती के संग से पातक प्राप्ति, दुर्वासा - कथित मुक्ति उपाय),२.१.१९(सुमति द्वारा दृढमति शूद्र को कर्मानुष्ठान सिखाने से दुर्गति), २.४.२टीका (गौतम - शिष्य, गुरु सेवा से अमरता), ३.१.१०(सुमति विप्र द्वारा शूद्र को वैदिककर्मोपदेश से नरक प्राप्ति, अगस्त्य उपदेश से मुक्ति), ३.१.३४(यज्ञदेव द्विज के पुत्र सुमति के पीछे ब्रह्महत्या का लगना, दुर्वासा के परामर्श से मुक्ति), ५.१.२४,५.२.६१, ५.२.६३.२, ७.३.२६(सुमति राजा द्वारा कनखल तीर्थ में सुवर्ण क्षेपण से धनद यक्ष बनना), वा.रामायण ०.३(सत्यवती - पति राजा सुमति के पूर्व जन्म कावृत्तान्त : पूर्व जन्म में शूद्र, रामायण श्रवण से वैभव प्राप्ति), १.३८.१७(सगर - पत्नी, षष्टि सहस्र पुत्रों की माता), १.४७(काकुत्स्थ - पुत्र, विशाला पुरी के राजा सुमति द्वाराराम व विश्वामित्र का स्वागत), लक्ष्मीनारायण १.२८२, १.४०२, १.४०३, २.१४०.६८(सुमति प्रासाद के लक्षण ), २.१४०.८४(सुमति प्रासाद के लक्षण ) sumati
सुमद पद्म ५.१२(अहिच्छत्रा - राजा सुमद द्वारा तप, कामाक्षा देवी का दर्शन, शत्रुघ्न से संवाद), ५.६७.३८(सत्कीर्ति - पति )
सुमधु लक्ष्मीनारायण २.२८.२७
सुमन विष्णुधर्मोत्तर १.६३.४९, महाभारत अनुशासन ९८.२०(सुमन/पुष्प की निरुक्ति : मन को ह्लाद देने वाले ; देवों को सुमन दान का महत्त्व ) sumana
सुमना पद्म २.११+ (च्यवन - पुत्री, सोमशर्मा - भार्या, पति द्वारा पुत्र की कामना पर पुत्रों के प्रकार का कथन, ब्रह्मचर्य आदि का उपेदश), ५.८७(देवशर्मा - पत्नी, संसारस्वरूप व पुत्र रूप का वर्णन, पुत्र प्राप्ति हेतु वैशाख व्रत का अनुष्ठान ), मत्स्य १२२, मार्कण्डेय १३२, वराह ३६, हरिवंश १.२२, कथासरित् १०.३.२२, १०.३.१७२, १८.४.२३६,द्र. भूगोल, मन्वन्तर, वंश ध्रुव sumanaa
सुमन्तु गणेश १.१९.१३, ब्रह्माण्ड २.३४.१५(व्यास - शिष्य), भविष्य १.१+ (व्यास - शिष्य सुमन्तु का शतानीक राजा से संवाद, भविष्य पुराण का वर्णन), ४.९४, वराह१७५(सुमन्तु मुनि द्वारा पाञ्चाल की देह में कृमियों का दर्शन, परामर्श ), लक्ष्मीनारायण १.३७८, ३.१८८.३१, द्र. धर्मसुमन्तु sumantu
सुमन्त्र पद्म ५.१२, शिव ३.५, कथासरित् ९.२.२६४,
सुमन्यु लक्ष्मीनारायण ३.७४.६५,
सुमर लक्ष्मीनारायण ३.५५.२
सुमाय कथासरित् ८.२.२२४, ८.२.३३२, ८.२.३४०, ८.५.१२१,
सुमाली नारद १.३६(वेदमालि - पुत्र, यज्ञमालि - अनुज, दुष्चरित्र के कारण स्वधन का नाश, भ्राता द्वारा स्व पुण्य दान से नरक से उद्धार), ब्रह्मवैवर्त्त ३.१८+, ४.४८+,मत्स्य १०, वायु ६९.१५९, विष्णु ५.२०.९०(कंस - भ्राता, बलराम द्वारा वध), विष्णुधर्मोत्तर १.२१२, १.२१४+, स्कन्द ३.१.४७(सुमाली द्वारा स्वकन्या कैकसी को विश्रवाको अर्पित करना), ७.१.२१५(सुमाली द्वारा पितृ हत्या से मुक्ति से लिए कुमारेश्वर लिङ्ग की पूजा), हरिवंश १.६.३६(पृथ्वी दोहन में वत्स), वा.रामायण ७.५.६(सुकेशव देववती - पुत्र), ७.५.३८(केतुमती - पति, प्रहस्त, अकम्पन आदि पुत्रों के नाम), ७.७(सुमाली का विष्णु से युद्ध), ७.२७.४६(सावित्र वसु द्वारा सुमाली का वध ), लक्ष्मीनारायण १.५४३.७३(सुमालिका sumaalee/ sumali
सुमित्र/सुमित्रा भागवत ११.३०(सुमित्र का सुरथ से युद्ध), स्कन्द ३.१.१२, ३.३.३.३२(कैकेय - पुत्री, शूद्र से रमण, गोवत्स का वध, जन्मान्तर में चाण्डाली, गोकर्ण मेंमुक्ति ), लक्ष्मीनारायण १.४३७, कथासरित् १४.४.४८, sumitra/ sumitraa
सुमुख अग्नि ९६, गणेश १.९२.१४(स्थूल प्रासाद में गणेश मूर्ति का नाम, मुनियों व असुरों द्वारा पूजित?), नारद १.५०.३५, १.६६.११७(बलीश की शक्ति सुमुखेश्वरीका उल्लेख), १.६६.१३०(सुमुख गणेश की शक्ति भौतिकी का उल्लेख), ब्रह्माण्ड ४.२७.८१, विष्णुधर्मोत्तर ३.३४३(मातलि की कन्या का पति), शिव ३.४, स्कन्द४.२.५५.२५(सुमुखेश्वर लिङ्ग का संक्षिप्त माहात्म्य ) sumukha
सुमुण्डीक कथासरित् ८.२.४८, ८.२.२८२, ८.२.३७५, ८.७.४८,
सुमुद्रा गणेश १.६२.६(सुलभ क्षत्रिय की भार्या, विप्र को शाप तथा विप्र शाप से चाण्डाली होना),
सुमूल वराह ७७
सुमेध लिङ्ग १.५०.७(सुमेध पर्वत पर वसुओं का वास), वायु ३९.४८(सुमेध पर्वत पर देवों का वास स्थान ) sumedha
सुमेधा गणेश २.३४.७(औरव - पत्नी, शमीका - माता), देवीभागवत ५.३२+ (सुमेधा ऋषि द्वारा सुरथ राजा व समाधि वैश्य को परामर्श, देवी पूजा विधि का वर्णन), नारद१.६६.१२६(एकदन्त की शक्ति सुमेधा का उल्लेख), ब्रह्माण्ड १.२.३६.५८(स्वारोचिष मन्वन्तर में देवगण का नाम), वायु ६२.५०(सुमेधा देवगण के अन्तर्गतदीप्तिमेधा, यशोमेधा आदि देवों के नाम), स्कन्द २.४.८ (सुमेधा द्वारा हरिमेधा को तुलसी माहात्म्य का कथन, वट वृक्ष का उद्धार), ३.३.९(वेदमित्र - पुत्र, सामवान केस्त्री होने पर सामवती को पत्नी बनाना ), द्र. मन्वन्तर sumedhaa