Puraanic contexts of words like Sudaamaa/Sudama, Sudyumna, Sudharmaa, Sundara / beautiful, Supaarshva etc. are given here.
सुदर्शना स्कन्द ५.३.३३(दुर्योधन व नर्मदा - कन्या, अग्नि द्वारा भार्या रूप में प्राप्ति की कथा), ६.२७१(भृगु - कन्या, घण्टक द्वारा बलात्कार ), लक्ष्मीनारायण३.१३.३७सुदर्शिनी sudarshanaa
सुदाम वा.रामायण १.७०(सुदामन : जनक - मन्त्री, दशरथ को सीता विवाह में आने का आमन्त्रण), लक्ष्मीनारायण ३.२१५
सुदामा गर्ग ५.६(मथुरा में कृष्ण द्वारा सुदामा माली पर कृपा), ५.१०.१८(सुदामा माली के संदर्भ में पूर्व जन्म में हेममाली का वृत्तान्त), ६.२२(सत्या - पति सुदामाब्राह्मण द्वारा धन प्राप्ति हेतु कृष्ण से मिलन को द्वारका गमन की कथा), देवीभागवत ९.१७, पद्म ६.२५२(सुदामा का कृष्ण से मिलन, कृष्ण द्वारा सत्कार), ब्रह्मवैवर्त्त२.१५, २.४९(राधा व सुदामा का परस्पर शाप), ४.५, भागवत १०.४१(मथुरा में सुदामा माली द्वारा कृष्ण को पुष्प भेंट, वर प्राप्ति), १०.८०+ (कृष्ण - सखा, धन के लिएद्वारका गमन, कृष्ण से वार्ता, ऐश्वर्य प्राप्ति), मार्कण्डेय ११०, वामन २२, शिव २.५.१३, लक्ष्मीनारायण १.३३५+, कृष्णोपनिषद १६(शम का रूप), २४(नारद मुनि का रूप ) sudaamaa/ sudama
सुदास पद्म ६.१३७, ब्रह्माण्ड २.३.६३.१७६(ऋतुपर्ण - पुत्र, इन्द्र - सखा, सौदास - पिता), भागवत ९.९, मत्स्य ५०.१५(चैद्यवर - पुत्र, सोमक/अजमीढ - पिता), वायु८८.१७६(ऋतुपर्ण - पुत्र, हंसमुस नाम, सौदास - पिता), हरिवंश १.१५, वा.रामायण ०.२(गौतम - शिष्य सुदास ब्राह्मण द्वारा गुरु के अनादर से राक्षसत्व प्राप्ति, गर्ग सेरामायण कथा श्रवण से उद्धार, सोमदत्त उपनाम ) sudaasa/ sudasa
सुदुघा लक्ष्मीनारायण १.३२०, ४.१०१.११३,
सुदेव पद्म ५.११७, भविष्य ३.२.१४(सुदेव विप्र की चन्द्रावली पर आसक्ति, भोग, मन्त्र प्रभाव से स्त्री व पुरुष रूप धारण), मार्कण्डेय ११४(राजा, नल का सखा, स्वयं कोवैश्य बताना ), वामन ६३, वा.रामायण ७.७८, लक्ष्मीनारायण १.३२१, sudeva
सुदेवा .पद्म २४२, २.४६(इक्ष्वाकु - पत्नी, मरणासन्न शूकरी से पूर्व जन्म के वृत्तान्त का श्रवण), २.४७(वसुदत्त - कन्या, शिवशर्मा - पत्नी, पति वञ्चना पर पति द्वारात्याग, जन्मान्तर में शूकरी), वामन ७२(सुनाभ - पुत्री, सवन - पत्नी, मरुत उत्पत्ति का प्रसंग), हरिवंश २.१०३.१७(कृष्ण - भार्या सुदेवा के पुत्रों के नाम ) sudevaa
सुदेवी भागवत २.७, मत्स्य १७१,
सुदेष्णा ब्रह्माण्ड १२७४, मत्स्य ४८.६७(बलि - पत्नी, दीर्घतमा से अङ्ग, वङ्ग आदि पुत्रों की उत्पत्ति की कथा), वायु ९९.६८(बलि - भार्या, दीर्घतमा से पुत्रों की उत्पत्ति कीकथा ) sudeshnaa
सुदेहा शिव ३.४२, ४.३२,
सुद्युम्न देवीभागवत ०.३(नवरात्र में देवीभागवत श्रवण से सुद्युम्न का स्थाई रूप से पुरुष बनना), १.१०, १.१२(शिव वन में प्रवेश से सुद्युम्न के इला बनने का प्रसंग,जगदम्बा प्रसाद से मुक्ति), पद्म १.८, ब्रह्म १.५(पुरुषत्व प्राप्ति के पश्चात् इला का नाम), ब्रह्माण्ड १.५?, ३.६०, भविष्य ४.१७७(सुद्युम्न राजा द्वारा ब्रह्माण्ड दान सेक्षुधा से मुक्ति), भागवत ९.१(इला के स्त्री से पुरुष, पुन: स्त्री होने की कथा), मत्स्य ४, १२, मार्कण्डेय ११३, वराह १०, ३६, वायु ८३, ८५(इडा से सुद्युम्न व पुन: इडा आदिबनने की कथा), स्कन्द ५.१.१४(सुदर्शना - पति, पुत्र प्राप्ति हेतु दाल्भ्य से परामर्श, चतु:समुद्र स्नान से पुत्र की प्राप्ति ), ५.२.७४.६२, हरिवंश १.१०, लक्ष्मीनारायण२.१८५.७१, द्र. वंश ध्रुव sudyumna
सुधना वराह १५५(सुधन : अक्रूर तीर्थ में वैश्य, नृत्य के पुण्य दान से ब्रह्मराक्षस की मुक्ति ), लक्ष्मीनारायण १.३४५, २.७३, sudhanaa
सुधन्वा अग्नि १९, देवीभागवत ५.१६, ६.२८, मत्स्य ५०, वराह १५५, विष्णु १.२२.११, हरिवंश १.४.१८(वैराज - पुत्र, पूर्व दिशा के दिक्पाल), वा.रामायण १.७१, sudhanvaa
सुधर्मा गणेश १.१.३१, १.२.२१(राजा सोमकान्त की भार्या सुधर्मा का पति के साथ वन गमन), गर्ग ९.१, नारद १.४०(सुधर्म द्वारा इन्द्र को अतीत व भविष्य केमन्वन्तरों के देवगण, इन्द्रों व ऋषियों का वर्णन), पद्म ६.३०(रूपसुन्दरी - पति राजा सुधर्मा के पूर्व जन्म का वृत्तान्त, पूर्व जन्म में मार्जार, दीप प्रबोधन से राजा बनना),ब्रह्माण्ड ३.४.१.५९(मेरु सावर्णि मनु के १२ पुत्रों के गण का नाम), भागवत १०.७०.१७(कृष्ण की सुधर्मा सभा की महिमा), मत्स्य ८(पूर्व दिशा के स्वामी), वामन७९(सुधर्मा वणिक् का प्रेत से संवाद, प्रेत की मुक्ति), विष्णु ५.२१.१४, शिव ४.३३(सुदेहा - पति सुधर्मा द्वारा पुत्र प्राप्ति हेतु घुष्मा से परिणय आदि), स्कन्द३.३.२०(भद्रसेन - पुत्र सुधर्मा की रुद्राक्ष में रुचि, रुद्राध्याय पठन से पुन: संजीवन, पूर्व जन्म में मर्कट), हरिवंश २.५८(वायु द्वारा इन्द्र की सुधर्मा सभा की द्वारका मेंस्थापना), लक्ष्मीनारायण ३.१५६.९२(सुधर्मा विप्र का यज्ञादि से देवसावर्णि मनु बनना ), कथासरित् ६.३.१३, द्र. मन्वन्तर sudharmaa
सुधा नारद १.९१.८५(सद्योजात शिव की अष्टम कला), वामन ९०.२५(मगध में विष्णु का सुधापति नाम ), लक्ष्मीनारायण ४.१०१.१२३, ३.३३.१८सुधाक्षी,३.२२७.४२सुधामर, द्र. हेमसुधा sudhaa
सुधामा ब्रह्माण्ड १.२.३६.२९(तृतीय मन्वन्तर में सुधामा देवगण के १२ देवों के नाम), वायु ७०.१६(रजस - पुत्र, पूर्व दिशा के अधिपति ), विष्णु २.८.८३, शिव ३.४, लक्ष्मीनारायण ४.१०१.८३, द्र. मन्वन्तर sudhaamaa/ sudhama
सुधि द्र. मन्वन्तर
सुधूम्राक्ष हरिवंश ३.५८.७७(सुधूम्राक्ष रुद्र का केशी से युद्ध),
सुनन्द पद्म ६.१८५(सुनन्द ब्राह्मण द्वारा तीर्थ यात्रा काल में गीता के ११वें अध्याय के प्रभाव से ग्रामवासी राक्षस को मुक्त करना ), मार्कण्डेय ११६, शिव ३.१, स्कन्द२.४.७, कथासरित् १२.६.९४, १८.३.४, sunanda
सुनन्दन गर्ग ७.२०.३३(प्रद्युम्न - सेनानी, सञ्जय से युद्ध), १०.३६(कृष्ण - पुत्र सुनन्दन द्वारा कुनन्दन का वध), १०.३८(शिव के गण नन्दी द्वारा सुनन्दन का वध ) sunandana
सुनन्दा पद्म १.४६.८१, ५.७२.६(सुनन्द - पुत्री, कृष्ण - पत्नी, पूर्व जन्म में उग्रतपा मुनि), भागवत ८.१, स्कन्द १.२.६२.४१, ५.२.३७.२१, ७.१.१६(सुनन्दा मातृकागण द्वारा श्रीमुख नामक पाताल विवर की रक्षा), ७.१.१४८, ७.३.३१(इन्द्रसेन - पत्नी, पति की मृत्यु के मिथ्या समाचार से मरण), लक्ष्मीनारायण १.२६५.११(सङ्कर्षणकी शक्ति सुनन्दा का उल्लेख), २.९४.७५(संकर्षण - पत्नी ), ४.१०१.१२१, sunandaa
सुनय ब्रह्माण्ड १.२.१३.९३(अजित देवगण में एक), स्कन्द ३.३.११(पद्माकर - पुत्र व भद्रायु राजपुत्र के सखा सुनय का युद्ध में सारथी बनना ), ३.३.१३.५४sunaya
सुनाभ वामन ५१, ५८, ७२, वायु ३९.५६(गरुड - पुत्र, श्वेतोदर पर्वत पर वास), स्कन्द ७.४.१७.८, वा.रामायण ५.५७(पर्वत, मैनाक का नाम?, हनुमान द्वारा स्पर्श ) sunaabha/ sunabha
सुनारी लक्ष्मीनारायण ४.३२
सुनीति भविष्य ४.६९.६१(अन्य नाम शुघ्नी), भागवत ४.१२.३२, मार्कण्डेय ११६, विष्णु १.१२.१४(ध्रुव - माता, माया निर्मित सुनीति द्वारा ध्रुव को तप से विरत करनेv का प्रयास), स्कन्द ४.१.२०.५३(मायामयी सुनीति द्वारा ध्रुव को तप से विरत करनेv का प्रयास ), ५.२.६३.२, suneeti
सुनीथ हरिवंश २.४८.३९ (रुक्मिणी स्वयंवर में सुनीथ द्वारा कृष्ण के प्रभाव का वर्णन ), कथासरित् ८.२.४८(मय – चन्द्रप्रभ भूप संवाद - त्वं दानवः सुनीथाख्यो मम पुत्रो महाबलः ), ८.३.१३०(ततः सुनीथः सस्मार तं सुवासकुमारकम् । स चागत्य मयादींस्ताञ्जगादैवं सराजकान् ।।) , ८.७.३१(तत्क्रोधादश्विनौ देवौ युद्धायापतितौ शरैः । सुनीथः प्रतिजग्राह तेषां युद्धमभून्महत् ।।), ८.७.४९(हिरण्याक्षश्च योऽभूत्प्राक्स सुनीथासुरोऽप्ययम् ।), suneetha
सुनीथा पद्म २.३०.५६(मृत्यु - कन्या सुनीथा द्वारा तपोरत सुशङ्ख का ताडन, शाप प्राप्ति, अङ्ग से परिणय - तेनाप्युक्ता सा हि क्रुद्धा ताडयत्तपसि स्थितम् । तामुवाच ततः क्रुद्धः सुशंखः क्रोधमूर्च्छितः । ), भागवत ४.१३.१७(सुनीथाङ्गस्य या पत्नी सुषुवे वेनमुल्बणम् । यद्दौःशील्यात्स राजर्षिः निर्विण्णो निरगात्पुरात् ॥), मत्स्य ४.४४(पितृकन्या सुनीथा तु वेनमङ्गादजीजनत्।), द्र. वंश ध्रुव suneethaa
सुनेत्र वामन ९०.३१(सैन्धवारण्य में विष्णु की सुनेत्र नाम से प्रतिष्ठा का उल्लेख), कथासरित् ८.५.१०८
सुन्द पद्म ६.१२६(सुन्द - उपसुन्द की तिलोत्तमा पर आसक्ति, परस्पर युद्ध से मरण), ब्रह्माण्ड ३.५.३४(सुन्द - निसुन्द, ३.१३.४७(सुन्द - निसुन्द श्राद्ध ), वराह ३६,वायु ६७, स्कन्द ५.३.१५५, ७.१.२१, वा.रामायण १२४, कथासरित् ३.१.१३५, ८.२.३८२, द्र. निसुन्द sunda
सुन्दर गणेश १.७४.१०(शार्ङ्गधर - कन्या व चित्र - भार्या सुन्दरा की वेश्या कर्म में प्रवृत्ति, भर्ता की हत्या, जन्मान्तर में चाण्डाली बनना), गरुड १.१२४(सुन्दरसेन राजा काशिवरात्रि व्रत से शिव गण बनना), पद्म ४.२६.१८(सुन्दर पिशाच का वीर विक्रम की पुत्री से विवाह), वराह ३६, स्कन्द २.१.२४(वीरबाहु - पुत्र सुन्दर गन्धर्व का वसिष्ठ केशाप से राक्षस होना, पद्मनाभ पर आक्रमण, चक्र द्वारा मुक्ति), २.७.९(राजा, जन्मान्तर में काम), ५.१.५३.२(सुन्दर कुण्ड की उत्पत्ति, माहात्म्य, पिशाच का मोचन ), लक्ष्मीनारायण १.४०४.३८, कथासरित् ३.६.११७, ९.१.१५, ९.२.११, १२.२४.४१, sundara
सुन्दरी गर्ग २.२०(सुन्दरी गोपी द्वारा राधा को चूडामणि भेंट), ७.४८.२५(सुकृति राजा की कन्या सुन्दरी द्वारा स्वयंवर में प्रद्युम्न का वरण), पद्म१.५०.९८(राजकुमार - भार्या, अद्रोह गृहस्थ द्वारा रक्षण), वराह २१५, स्कन्द १.१.७(काशिराज - पुत्री, उद्दालक से संवाद), ५.२.८१.५९, वा.रामायण ७.५.३५(नर्मदा - पुत्री, माल्यवान् - पत्नी, ७ पुत्रों के नाम), लक्ष्मीनारायण १.२६५.१३(जनार्दन की शक्ति सुन्दरी का उल्लेख ), कथासरित् २.२.१४४, ८.२.३३६, sundaree/sundari
सुपर्ण भागवत १२.११.१९(तीन वेदों का रूप), वामन ९०.१९(अर्बुद में विष्णु का त्रिसौपर्ण नाम से वास), वायु ३१७सुपक्ष, विष्णुधर्मोत्तर ३.३४६.२५(सुपर्ण नाम कीनिरुक्ति), स्कन्द ६.८२(सुपर्णेश्वर लिङ्ग का माहात्म्य, सुपर्ण द्वारा सुवर्ण पक्षों की प्राप्ति, वेणु नृप की कुष्ठ से मुक्ति ), वा.रामायण १.३८, १.४१.१६, लक्ष्मीनारायण१.४८४.३१, १.५६१.३८, suparna
सुपर्णा ब्रह्म २.३०(कश्यप - भार्या सुपर्णा द्वारा इन्द्रदर्पहर गर्भ धारण करना, अपमार्ग पर स्थित होने से ऋषियों द्वारा नदी होने का शाप, गङ्गा से सङ्गम पर पुन: कश्यपकी भार्या बनना ), भागवत ४.१८, स्कन्द ६.८२, ७.१.३५१, लक्ष्मीनारायण ४.१०१.१०७ द्र. विनता suparnaa
सुपर्णाक्ष देवीभागवत ६.१८
सुपर्णी द्र. सुपर्णा
सुपर्णेला स्कन्द ७.१.३५१(सुपर्णेला भैरवी का माहात्म्य),
सुपर्व पद्म १.४०(सुपर्वा : साध्यों के गण में से एक), स्कन्द ५.३.८३.३५सुपर्वा
सुपार्श्व देवीभागवत ७.३०(सुपार्श्व पीठ में नारायणी देवी का वास), ८.६(सुपार्श्व पर्वत : सुमेरु पर्वत का पद, कदम्ब वृक्ष का स्थल), ब्रह्मवैवर्त्त ४.१६(गन्धवाह - पुत्र,कमल हरण से केशी रूप में जन्म), मत्स्य १३, ८३(सुपार्श्व पर्वत निर्माण व पूजा विधि), ९२.८(सुपार्श्व पर्वत, स्वर्णमयी गौ की दक्षिणाभिमुखी प्रतिष्ठा), वराह ७७, ९५,स्कन्द ३.१.६(सुपार्श्व मुनि की महिषी पर कृपा से महिषासुर पुत्र की उत्पत्ति), ५.३.१९८.७३, ७.४.१७.३१, वा.रामायण ४.५९(सम्पाती - पुत्र सुपार्श्व गृध्र द्वारा सीताहरण का दर्शन), ६.९२.६२(रावण के मन्त्री सुपार्श्व द्वारा रावण को सीता वध की चेष्टा से निवृत्त करना ), ७५, लक्ष्मीनारायण २.१४०.७०, supaarshva/ suparshva