सुमेरु-सुवर्णा

Puraanic contexts of words like Suyajna, Sumeru, Suratha, Surabhi, Surasaa, Suvarchaa, Suvarna / gold etc. are given here.

सुमेरु गर्ग १०.१.१५(अश्वमेध चरित्र का नाम), देवीभागवत ८.७(सुमेरु पर्वत का विस्तार, सुमेरु के अन्तर्गत पर्वतों का वर्णन), भविष्य ३.४.२०.१८(अपरा प्रकृति केदेवताओं में से एक),स्कन्द ४.२.५८.१६१(सुमेरु का शिव के रथ में ध्वज - दण्ड बनना ), कथासरित् ८.२.८, ८.३.३३, ८.३.५९, ८.३.१३०, ८.३.१९४, ८.७.१२३, sumeru

सुम्न द्र. सुषुम्ना

सुयज्ञ ब्रह्मवैवर्त्त २.१, २.५०+ (यज्ञकर्ता, अनादृत विप्र का शाप), २.५४(सुयज्ञ द्वारा गोलोक के दर्शन), भागवत ७.२(उशीनर राजा, मृत्यु पर पत्नियों का विलाप, यमद्वारा उपदेश), ७.२.२८, वा.रामायण २.३२(वसिष्ठ - पुत्र, वन गमन से पूर्व राम द्वारा सुयज्ञ को दान), लक्ष्मीनारायण १.४४२+ (सुयज्ञ राजा द्वारा अतिथि सुतपा ऋषिकी उपेक्षा पर शाप प्राप्ति, सुतपा द्वारा पत्नीव्रत धर्म का उपदेश ) suyajna/ suyagya

सुयशा लिङ्ग १.४४.३९(मरुतों की पुत्री, नन्दी के अभिषेक में छत्र धारण ), शिव ३.७.४१ suyashaa

सुयामुन हरिवंश २.२८(सुयामुन पर्वत पर उग्रसेन - पत्नी व द्रुमिल दैत्य के समागम की कथा),

सुर ब्रह्माण्ड ३.४.९.६८, लक्ष्मीनारायण ४.५१,

सुरघु योगवासिष्ठ ५.५८+

सुरत पद्म ६.१५, वराह १४२(स्त्री सम्भोग की विधि व नियम), वामन ७२.६३(सुरति : रिपुजित् - कन्या, मरुतों की माता), विष्णुधर्मोत्तर १.२५७(राजगृह में सुरत),स्कन्द १.१.२७(शिव - पार्वती की सुरत से कुमार के जन्म का प्रसंग ), लक्ष्मीनारायण २.७७सुरतायन, कथासरित् १२.२.१६सुरतप्रभा, १६.०.०सुरतमञ्जरी,१६.२.९सुरतमञ्जरी, surata

सुरथ देवीभागवत ५.३२(सुरथ राजा द्वारा कष्टों से मुक्ति हेतु सुमेधा ऋषि से वार्तालाप), १०.१०(राजा, जन्मान्तर में सावर्णि मनु), पद्म ५.४९+ (कुण्डलपुर के राजासुरथ द्वारा राम के यज्ञीय अश्व का बन्धन, शत्रुघ्न सेना से युद्ध, राम से मिलन), ५.६७.४१(सुमनोहरा - पति), ब्रह्मवैवर्त्त २.५७+ (सुरथ द्वारा दुर्गा पूजा, वंश),२.६२(समाधि वैश्य - सुरथ राजा - मेधा ऋषि का आख्यान), भागवत ११.३०(सुरथ का सुमित्र से युद्ध), मार्कण्डेय ८१, ११५.११, २९५?, वामन ६३(सुरथ की चित्राङ्गदा परआसक्ति), शिव ५.२८, ५.४५+ (सुरथ - समाधि वैश्य - मेधा ऋषि आख्यान), स्कन्द ६.१५१(सुरथ द्वारा राज्य की पुन: प्राप्ति के लिए भैरव की उपासना ), वा.रामायण७.७८, लक्ष्मीनारायण २.५०, ३.१५५.८८ suratha

सुरपुर कथासरित् ९.६.८०

सुरभानु ब्रह्मवैवर्त्त ४.१७(वृषभानु - पिता),

सुरभि गणेश २.११.१३(नन्दी के सुरभि - पुत्र होने का उल्लेख), २.१२७.३४(सिन्दूर दैत्य की देह में सुरभि होने का कथन), देवीभागवत ९.४९(सुरभि का कृष्ण से प्राकट्य,मनोरथ - माता, सुरभि के दुग्ध से क्षीरसागर की उत्पत्ति, दुग्ध प्राप्ति हेतु इन्द्र द्वारा स्तुति), नारद २.२२.७६(लवण त्यागी के लिए सुरभि दान का निर्देश), पद्म १.४६.८०, ब्रह्मवैवर्त्त २.४७(सुरभि की कृष्ण से उत्पत्ति, स्तोत्र), ब्रह्माण्ड ३.७.४६६(सुरभि की तप:शीला प्रकृति का उल्लेख), भविष्य ३.४.२४.६५, भागवत १०.२७(सुरभि द्वाराकृष्ण का दुग्ध से अभिषेक), मत्स्य ४८, ५१.३८(शुचि अग्नि - पुत्र), १२१.६१(सुरभि वन में हिरण्यशृङ्ग यक्ष का वास), १७१, मार्कण्डेय २१, वामन ३५.३०(सुरभि की ब्रह्मासे उत्पत्ति), वायु ६६, ६९.९४(सुरभि के तपोमय शील युक्त होने का उल्लेख), ९९.९१(सुरभि द्वारा आघ्राण मात्र से दीर्घतमा को पापमुक्त करना), शिव ३.१७, ७.२.३१,स्कन्द १.१.६(ब्रह्मा द्वारा लिङ्गान्त अन्वेषण के विषय में सुरभि द्वारा मिथ्या साक्षी, शाप प्राप्ति), १.१.१७(सुरभि द्वारा दधीचि का निर्मांसकरण), ३.१.३७(सुरभिद्वारा मुद्गल के कुण्ड का क्षीर द्वारा पूरण), ६.२५८(शिव द्वारा सुरभि की स्तुति, सुरभि के शरीर में देवों की स्थिति, सुरभि द्वारा शिव तेज से गर्भ धारण),७.१.३२(सुरभि द्वारा दधीचि की देह का निर्मांसकरण, देवों द्वारा मुख के अतिरिक्त सुरभि के शरीर की शुद्धि, सुरभि द्वारा सरस्वती को शाप), हरिवंश १.३.४९(दक्ष - पुत्री, कश्यप - भार्या, अजैकपाद, अहिर्बुध्न्य आदि की माता), ३.१४(धर्म - पत्नी, एकादश रुद्रों की माता, वसुओं की माता आदि), महाभारत अनुशासन १४.१२५, वा.रामायण२.७४(बलीवर्द पुत्रों की दुर्दशा पर सुरभि का रोदन ), ३.१४.२७, ७.२३, लक्ष्मीनारायण २.३२.३६, ३.८.२७सौरभेयी, कथासरित् ६.१.५९, ६.८.२२०, ९.२.७१,१२.२.१०९ surabhi

सुरश्मि वराह ३६

सुरसा देवीभागवत ४.२.४२(कश्यप - पत्नी, वरुण शाप से वसुदेव - पत्नी रोहिणी बनना), ब्रह्म ४.१९, ब्रह्मवैवर्त्त ४.१९(कालिय नाग - पत्नी, कृष्ण की स्तोत्र द्वारास्तुति), ?(कालिय नाग - पत्नी, नाग के मूर्च्छित होने पर कृष्ण की स्तुति), मत्स्य ६, वायु ६९.३१५(, विष्णु १.२१.१९, स्कन्द २.८.१०(सुरसा की लङ्का से अयोध्या मेंस्थापना), ५.३.५.८(नर्मदा का नाम, कारण), ५.३.६.३२, वा.रामायण ५.१.१४५(दक्ष - कुमारी, नाग - माता, हनुमान द्वारा समुद्र लङ्घन के समय सुरसा का प्राकट्य,हनुमान द्वारा सुरसा का निग्रह), ५.५८(नाग - माता सुरसा द्वारा हनुमान के भक्षण का प्रयास, हनुमान द्वारा निग्रह), लक्ष्मीनारायण १.२०६.४६(मृगशृङ्ग मुनि की ४पत्नियों में से एक ), १.४७०, ४.१०१.१०३, द्र. भूगोल surasaa

Remarks on Surasaa by Dr. Fatah Singh

सुरसेन कथासरित् ९.६.८०,

सुरा गरुड २.२२.६१(सुरा समुद्र की श्लेष्मा में स्थिति), नारद १.८९.१२(सुरा सन्धान विधि), १.९०.१२, २.२३.७०(रवि सङ्क्रान्ति तिथि को सुरा का वर्जन), ब्रह्माण्ड३.४.९.६८, ३.४.२८.८५(दण्डनाथा देवी द्वारा सुरा समुद्र को वरदान), शिव २.५.२६.३४(सरस्वती? का सुरा नाम से तमोगुणी रूप में उल्लेख ), स्कन्द ६.२०८.७, suraa

सुराप द्र. मन्वन्तर

सुराष्ट} वामन ९०.३०(सुराष्ट} में विष्णु का महावास नाम),

सुरि शिव ७.१.१७.२७

सुरुचि पद्म १.८(सुरुचि गन्धर्व द्वारा पृथ्वी से सुगन्ध रूपी दुग्ध का दोहन), ब्रह्माण्ड १.२.२३.१३(सुरुचि गन्धर्व की सूर्य रथ में स्थिति), भागवत ४.८, स्कन्द१.१.१८(विरोचन - भार्या, बलि - माता), हरिवंश १.६.३९(पृथ्वी रूपी गौ का दोग्धा ) suruchi

सुरूपा गर्ग १०.१७(स्त्री राज्य की अधिपति, अनिरुद्ध से विवाह, पूर्व जन्म में मोहिनी अप्सरा का वृत्तान्त), लक्ष्मीनारायण १.१६५.१५(अङ्गिरस - पत्नी, १० आङ्गिरसपुत्रों की माता ) suroopaa/suruupaa/ surupa

सुरेणु भविष्य १.७९.१७, वायु ८३.२१, स्कन्द ७.१.११, हरिवंश १.९(सूर्य - पत्नी संज्ञा का उपनाम ) surenu

सुरेश नारद १.६६.१२८(गणनायक की शक्ति सुरेशा का उल्लेख), लक्ष्मीनारायण ४.९

सुरोषण कथासरित् ८.५.२३, ८.७.३६,

सुरोह कथासरित् ८.१.४६, ८.५.११२,

सुलक्षणा स्कन्द ४.१.४७(प्रियव्रत द्विज - पुत्री सुलक्षणा द्वारा तप, पार्वती - सखी बनना), लक्ष्मीनारायण १.२६५.१४(कृष्ण की शक्ति सुलक्षणा का उल्लेख ) sulakshanaa

सुलभ गणेश १.६२.४(सुमुद्रा -पति, विप्र का अपमान, विप्र शाप से वृषभ होना), १.७६.५२(सुलभा : कालभौ मुनि - भार्या, वेश्यारत बुध द्वारा रति पर बुध को कुष्ठ होनेका शाप), भविष्य ४.१९७(मरुत्त - पत्नी सुलभा के पूर्व जन्म का वृत्तान्त, गुडाचल दान की महिमा का प्रसंग ) sulabha

सुलोचना पद्म ७.५+ (माधव द्वारा गुणाकरराज - पुत्री सुलोचना की प्राप्ति का यत्न, सुलोचना द्वारा वीरवर नामक पुरुष वेश धारण आदि ), कथासरित् ६.२.५०,८.१.४५, ८.६.१७१, १४.३.१३९, sulochanaa

सुलोभ पद्म २.३०(सुलोभ लुब्धक द्वारा तीर्थ में स्नान से मुक्ति),

सुवर्चला ब्रह्माण्ड १.२.१०.७६(रुद्र - पत्नी, शनि - माता), भागवत ५.१५(प्रतीह - भार्या, प्रतिहर्त्ता आदि पुत्रों की माता), लिङ्ग २.१३.१४(शिव/सूर्य - पत्नी, शनि - माता), वायु २७.५० suvarchalaa

सुवर्चा देवीभागवत ४.२२.३८(सोम - पुत्र सुवर्चा का सोमप्ररु रूप में अवतरण), मार्कण्डेय ९९(भूति - भ्राता), वामन ५७.६८(वरुण द्वारा स्कन्द को प्रदत्त गण), शिव ३.२१,स्कन्द १.१.१७(दधीचि - पत्नी सुवर्चा द्वारा देवों को शाप, पति के साथ सती होना), १.२.६६, ६.९३(अम्बरीष - पुत्र सुवर्चा द्वारा कुष्ठ प्राप्ति, पूर्व जन्म में मेघवाहनराजा, ब्राह्मण की हत्या, गोमुख में स्नान से मुक्ति), हरिवंश २.९६.५३(मातलि - पुत्र गद का सारथि ) suvarchaa

सुवर्ण देवीभागवत ७.३८(सुवर्णाक्ष क्षेत्र में उत्पलाक्षी देवी के वास का उल्लेख), नारद १.१५.३५(सुवर्ण चोरी का व्यापक अर्थ), १.३०.३४(सुवर्ण चोरी पर प्रायश्चित्तविधान), पद्म ३.२८.१९(सुवर्ण तीर्थ का माहात्म्य, कृष्ण द्वारा रुद्र की आराधना), ५.७२.६२(कुशध्वज ऋषि - पुत्र सुवर्ण द्वारा तप, जन्मान्तर में गोकुल में जन्म),७.१०(वेश्यारत भूपाल सुवर्ण द्वारा विष्णु को चम्पक पुष्प भेंट से मुक्ति), ब्रह्म २.५८(शिव वीर्य से उत्पन्न अग्नि व स्वाहा - पुत्र, संकल्पा - पति, देवों के रूप में देवपत्नियों के साथ रमण करनेv से देवों का सुवर्ण को शाप, शिव द्वारा उत्शाप), ब्रह्मवैवर्त्त २.५८, भविष्य ३.२.२०(अनङ्गमञ्जरी - पति, पत्नी वियोग से मरण),४.१५६(सुवर्ण धेनु दान विधि), मत्स्य ८६(सुवर्णाचल दान विधि), वामन ८२.४०(सुवर्णाक्ष : चक्र द्वारा कर्तित शिव के ३ रूपों में से एक), ९०.९(भृगुतुङ्ग पर विष्णु कासुवर्ण नाम से वास), विष्णुधर्मोत्तर १.२४८.२८सुवर्णचूड, ३.१८.१, ३.३१०(सुवर्ण दान), स्कन्द २.४.१५.२६(सुवर्णाद्रि), ५.३.२०७, ७.१.१२९.१९(सुवर्णकार के अन्नभक्षण से आयु क्षय का उल्लेख), ७.१.३५५(बहु सुवर्णेश्वर लिङ्ग का माहात्म्य), महाभारत अनुशासन ८४.४६(सुवर्ण के अग्नीषोमात्मक होने का उल्लेख ), लक्ष्मीनारायण १.२६३, १.५७३, कथासरित् १.७.४१, suvarna

सुवर्णमाली लक्ष्मीनारायण ३.२७.२

सुवर्णमुखरी शिव १.१२.१६(९ मुखा सुवर्णमुखरी नदी का संक्षिप्त माहात्म्य), स्कन्द २.१.३०+ (अर्जुन का सुवर्णमुखरी नदी पर आगमन, अगस्त्य के तप से सुवर्णमुखरी की उत्पत्ति, आकाशगङ्गा का अंश ), लक्ष्मीनारायण १.४०५+, suvarnamukharee/ suvarnamukhari

सुवर्णवर्माक्ष देवीभागवत २.११.१२(काशिराज, वपुष्टमा - पिता),

सुवर्णशिला स्कन्द ५.३.१०४

सुवर्णष्ठीवी भविष्य ४.१३(सञ्जय - पुत्र, पूर्व जन्म में शुभोदय वैश्य, भद्र व्रत पालन से कल्याण), महाभारत शान्ति २८.१४९( ), ३०.१६( )

Comments on Suvarnashthivi

सुवर्णा ब्रह्म २.५८(शिव वीर्य से उत्पन्न अग्नि व स्वाहा - पुत्री, धर्म - भार्या, व्यभिचारिणी, देवों का शाप, शार्दूल दैत्य द्वारा हरण, विष्णु द्वारा रक्षा, कमला बनना ) suvarnaa