साध्वी-सालकटंकटा
Puraanic contexts of words like Saabhramati, Saama, Saamba / Samba, Saarasvata etc. are given here.
साध्वी लक्ष्मीनारायण १.२७(सा†ध्वयों के भगवान् की शक्तियों का रूप होने का वर्णन), १.५४३.७३, २.१२४.८३(साध्वी के लिए यज्ञ में श्रौषट् व्याहृति का प्रयोग ) saadhvee/ sadhvi
सानन्दूर वराह १५०(सानन्दूर क्षेत्र का माहात्म्य),
सान्दीपनि गर्ग १०.२२, १०.२३(सान्दीपनि द्वारा अनिरुद्ध हेतु कृष्ण तत्त्व का निरूपण), ब्रह्मवैवर्त्त १.८६, ४.१०२(सान्दीपनि द्वारा कृष्ण को विद्या पढाना ), स्कन्द५.१.२७, हरिवंश २.३३, saandeepani/ sandipani
साभ्रमती पद्म ६.१३५(साभ्रमती नदी : गङ्गा का रूप, कश्यप द्वारा तप से शिव से साभ्रमती की प्राप्ति, साभ्रमती का माहात्म्य, युगान्तर में नाम), ६.१३७(सप्त - स्रोतासाभ्रमती का माहात्म्य), ६.१४५, ६.१७०(साभ्रमती - समुद्र सङ्गम तीर्थ का माहात्म्य), स्कन्द ३.२.३९,६.१७३(वसिष्ठ द्वारा प्लक्ष से साभ्रमती की उत्पत्ति की कथा ), लक्ष्मीनारायण १.५०७, saabhramatee/ sabhramati
साम गणेश १.५९.९(साम नामक अन्त्यज द्वारा अन्त समय में गणेश चतुर्थी व्रत करनेv से कृतवीर्य नृप बनने की कथा), पद्म १.२०(साम व्रत की विधि व माहात्म्य),ब्रह्माण्ड २.३३.३९(साम के ७ प्रकार), ३.४.१.१०८, ३.७.३३४(हस्ती), भविष्य १.२११.२२, मत्स्य १०१.२६(साम व्रत), स्कन्द ४.१.३१.२६(साम द्वारा शिव स्तुतिका कथन), ४.२.९२(नर्मदा के सामवेद का रूप होने का उल्लेख), ७.१.१७.१४१(साम के प्रकार व महिमा), महाभारत वन ३१३.५३, शान्ति ३४८.४६(ज्येष्ठ साम व्रतीब्राह्मण का उल्लेख), अनुशासन १४.२८२, लक्ष्मीनारायण २.११५.१३, ३.८.५४(अतल के सहस्रपाद राजा सामरायधन के पादों का विष्णु द्वारा कर्तन), ३.११०.१०१(,३.१११.६५(यम द्वारा दीर्घशील विप्र को पुरुषोत्तम साम जप का निर्देश ; पुरुषोत्तम साम का महत्त्व ), ३.२१९.६सामकृषि, द्र. असम, त्रिसाम saama/ sama
साम - दाम - दण्ड - भेद मत्स्य २२३+ (साम, दाम, दण्ड, भेद नीति का वर्णन), विष्णुधर्मोत्तर २.६७+, २.१४७,
सामग स्कन्द ५.२.४१,
सामवान् स्कन्द ३.३.९(सारस्वत - पुत्र, सीमन्तिनी के निकट स्त्री वेश में जाना, स्त्री बनना, मित्र सुमेधा से विवाह),
सामुद्रिक भविष्य १.२४, शिव ५.२५.३५, स्कन्द ४.१.११.५६(नारद द्वारा गृहपति बालक के सामुद्रिक लक्षणों का वर्णन), ४.१.३७(स्त्री के सामुद्रिक लक्षण ) saamudrika/ samudrika
साम्ब कूर्म १.२६(साम्ब पुत्र की प्राप्ति हेतु कृष्ण द्वारा शिव की आराधना), गणेश २.२७.२०(दुर्धर्ष राजा का जारज दुष्ट पुत्र, गणेश पूजा से जन्मान्तर में व्याध योनि मेंगणेश का अनुग्रह प्राप्त करना), गर्ग ७.२०.२९(प्रद्युम्न - सेनानी, बाह्लीक से युद्ध), ७.२४.४६(साम्ब द्वारा कुबेर - सेनानी कार्तिकेय से युद्ध), १०.३१.१३(साम्बद्वारा बल्वल - सेनानी कुशाम्ब का वध), १०.३८.३२(साम्ब का शिव से युद्ध), १०.४९.१७(साम्ब का भीष्म से युद्ध), ब्रह्म १.९९(साम्ब द्वारा दुर्योधन की कन्या काहरण, कौरवों द्वारा बन्धन, बलराम द्वारा साम्ब की मुक्ति), १.१०१(स्त्री वेश धारी साम्ब से मुसल की उत्पत्ति की कथा), ब्रह्मवैवर्त्त ४.६.१३१(षडानन का अंशावतार),भविष्य १.४८(साम्ब का कृष्ण से मुक्ति विषयक संवाद), १.६६(साम्ब द्वारा वसिष्ठ को सूर्याराधन विधि का कथन), १.७२(साम्ब द्वारा दुर्वासा का उपहास, शापप्राप्ति), १.७३(साम्ब द्वारा नारद का उपहास, कृष्ण से कुष्ठ शाप की प्राप्ति, सूर्याराधन), १.७५+ (नारद द्वारा साम्ब को सूर्याराधन का उपदेश), १.१२७+ (साम्बद्वारा सूर्य उपासना का उपाख्यान), १.१३९, ४.१११, भागवत ३.१, १०.६८(साम्ब द्वारा दुर्योधन - कन्या लक्ष्मणा का हरण, कौरवों द्वारा साम्ब का बन्धन), ११.१(साम्बद्वारा स्त्री रूप धारण, ऋषियों से पुत्र विषयक प्रश्न, शाप प्राप्ति), ११.३०(साम्ब का प्रद्युम्न से युद्ध), वराह १७७(साम्ब के रूप द्वारा कृष्ण - पत्नियों का क्षोभ, कृष्ण कासाम्ब को शाप, साम्ब द्वारा कुष्ठ निवारण हेतु सूर्य की आराधना, माध्यन्दिन उपनाम), विष्णु ५.३५(साम्ब द्वारा दुर्योधन की पुत्री के हरण का प्रसंग, बलराम द्वारा साम्बका बन्धन से मोचन का उद्योग), ५.३७(ऋषियों द्वारा स्त्री वेश धारी साम्ब को मूसल उत्पन्न करनेv का शाप), शिव ५.१, ५.३.१८, ७.२.१(पाशुपत व्रत से कृष्ण कोसाम्ब पुत्र की प्राप्ति), स्कन्द १.३.१.३, ४.१.४८(साम्ब के रूप पर कृष्ण - पत्नियों का मोहन, साम्ब को शाप की प्राप्ति, कुष्ठ से मुक्ति हेतु काशी में तप, स्वनाम ख्यातलिङ्ग, कुण्ड, आदित्य की स्थापना), ४.२.६४, ६.५६(साम्बादित्य का माहात्म्य, गालव द्वारा पुत्र प्राप्ति), ६.२१३(साम्ब द्वारा कृष्ण - पत्नी नन्दिनी से स्व - भार्या रूपमें रति, कुष्ठ प्राप्ति, कुहरवासा तीर्थ की स्थापना), ७.१.१००+ (साम्बादित्य का माहात्म्य, साम्ब द्वारा दुर्वासा का अपमान, शाप प्राप्ति, कृष्ण से शाप प्राप्ति, साम्बादित्य पूजा से मुक्ति), ७.१.२३७(साम्ब द्वारा स्त्री रूप धारण, ऋषियों द्वारा यादव कुल के नाश के शाप की कथा), ७.१.३०५+ (साम्ब द्वारा नारद की निन्दा,शाप - प्रतिशाप, कुष्ठ से मुक्ति हेतु साम्बादित्य की स्थापना), हरिवंश २.६२(साम्ब द्वारा दुर्योधन - पुत्री लक्ष्मणा का अपहरण, हस्तिनापुर में बन्धन में पडना),२.९४(साम्ब द्वारा गुणवती से विवाह), २.१०३.२८(काश्या - पति, सुपार्श्व पुत्र ), २.११०, लक्ष्मीनारायण १.३५३, samba/ saamba
साम्भरायणि भविष्य ४.१०७(स्वर्ग में तपोधना नारी साम्भरायणि का इन्द्र से पूर्व इन्द्रों के विषय में संवाद, शङ्कुकर्ण दैत्य हनन का प्रसंग),
सायं लक्ष्मीनारायण १.५७०.६२(भगवान् के प्रात: गर्भ रूप, सायं सृष्टि रूप व रात्रि में प्रलय रूप होने का उल्लेख ), द्र. वंश ध्रुव saayam
सायुज्य पद्म ६.१८, भविष्य ३.४.७.२६ (तप से सालोक्य, भक्ति से सामीप्य, ध्यान से सारूप्य व ज्ञान से सायुज्य प्राप्ति का कथन), स्कन्द २.२.३७.५५ (राजाश्वेत द्वारा विष्णु के मत्स्यावतार के समय सायुज्य प्राप्ति का वर प्राप्त कर श्वेत माधव होना), लक्ष्मीनारायण १.५४७.३९(सालोक्य आदि ४ प्रकार की मुक्ति केअधिकारी जनों का कथन), saayujya/ sayujya
सारकेतु लक्ष्मीनारायण २.११०.६७
सारङ्ग पद्म ६.२०३५१(सारङ्ग द्वारा कादम्बिनी के जल की अभीप्सा का उल्लेख), स्कन्द ५.१.४४.११ लक्ष्मीनारायण ३.८.५२(सुतल - राजा, शतमूर्द्धा, विष्णु सेयुद्ध में शिरों का छेदन ), ३.१६.५६, ३.२०९.१, saaranga/ saranga
सारण गर्ग १०.४९.१८(अनिरुद्ध - सेनानी, द्रोणाचार्य से युद्ध), मत्स्य ४६, वा.रामायण ६.२५(रावण - अमात्य सारण द्वारा राम की सेना का गुप्त रूप से निरीक्षण,वानरों द्वारा बन्धन व मोचन, सारण द्वारा रावण को वानर सेनापतियों का परिचय देना), ६.२९(रावण द्वारा सारण का सभा से निष्कासन ) saarana/ sarana
सारथि ब्रह्माण्ड ४.२०.९२(त्रिपुर भैरवी आदि रथ के सारथि), महाभारत कर्ण ३४.६३(त्रिपुर वध के संदर्भ में ब्रह्मा का शिव के रथ का सारथी बनना), योगवासिष्ठ६.२.१३९.१३(प्राण व मन के एक दूसरे के रथ के सारथी होने का कथन ), लक्ष्मीनारायण २.२४५.५०, २.२५१.५६, saarathi/ sarathi
सारमेय वामन ४७, स्कन्द २.७.८.२(सन्तों का संग न करनेv से सारमेयता प्राप्ति का उल्लेख), ३.३.४(सारमेय द्वारा शिव मन्दिर की प्रदक्षिणा से जन्मान्तर में विमर्दनराजा बनना), saarameya/ sarameya
सारस पद्म २.६१, ६.१२९.१५०, ६.१२९.१६१(सारस द्वारा वानर को पूर्व जन्म के वृत्तान्त का कथन, हंस बनना, पूर्व जन्म के प्रतिग्रह दोष से सारस), मत्स्य ६.३२(धर्मव शुचि - पुत्र), हरिवंश २.३८.२७(यदु - पुत्र सारस द्वारा क्रौञ्च पुर की स्थापना), महाभारत आश्वमेधिक ९२दाक्षिणात्य पृ. ६३२६, योगवासिष्ठ ६.१.७.६०(कारण का रूप), लक्ष्मीनारायण ४.१०१.९७ saarasa/ sarasa
सारस्वत देवीभागवत १.३.२८(नवम द्वापर में व्यास), पद्म १.२०(सारस्वत व्रत की विधि व माहात्म्य), १.२२२.१७८(सारस्वत व्रत, सरस्वती की महिमा),३.२७.४(सप्त सारस्वत तीर्थ का माहात्म्य, मङ्कणक के हाथ से शाक स्रवण की कथा), भविष्य ३.४.१२, ४.३५, मत्स्य ६६(सारस्वत व्रत की विधि, सरस्वती की पूजा),१०१.१८(सारस्वत व्रत), लिङ्ग १.२४.४३(नवम द्वापर में व्यास), वराह ३(पूर्व जन्म में नारद नाम), विष्णु १.२.९, शिव ३.४, स्कन्द १.२.२(सारस्वत द्वाराकात्यायन को धर्म व दान के माहात्म्य का उपदेश), ३.३.९, ४.२.८४.८३(सारस्वत तीर्थ का संक्षिप्त माहात्म्य), ७.१.१०५.४७(१२वें कल्प का नाम), ७.२.६+(सारस्वत द्वारा राजा भोज को वस्त्रापथ क्षेत्र के माहात्म्य का कथन), महाभारत शान्ति ५९.१११, लक्ष्मीनारायण १.१४९+ (सारस्वत विप्र द्वारा राजा भोज को मृगाननाका परिचय देना, फलित ज्योतिष का वर्णन ), १.४४९, १.५४०, १.५५८, द्र. व्यास saarasvata/ sarasvata
सारायण लक्ष्मीनारायण ४.३२.२८, ४.८०.१३,
सारिका मार्कण्डेय १५(दुष्कर्मों के फलस्वरूप सारिका योनि की प्राप्ति का उल्लेख), लक्ष्मीनारायण १.५७४, ३.२०८.५४, कथासरित् १२.१०.८,
सारूप्य गर्ग ४.५(चम्प नगरी के राजा विमल द्वारा याज्ञवल्क्य के सुझाव से स्वपुत्रियों को कृष्ण को भेंट करना, कृष्ण से सारूप्य प्राप्त करना), पद्म ५.७५.४७(ललिताका राधा व कृष्ण से सारूप्य), द्र. सायुज्य saaroopya/ sarupya
सार्वभौम नारद १.११९.३१(सार्वभौम दशमी व्रत की विधि, पाप का दिशाओं के सापेक्ष विन्यास व नाश), भविष्य ३.४.१७(दिग्गज, ध्रुव व दिशा - पुत्र), भागवत८.१३.१७(८वें मन्वन्तर में अवतार, देवगुह्य व सरस्वती - पुत्र), वराह ६५, स्कन्द ३.२.३६, वा.रामायण ४.४३, ६.४.१९(दिग्गज, कुबेर का वाहन ) saarvabhauma/ sarvabhauma
साल देवीभागवत १२.१०.३४, हरिवंश १.६.४३(पृथ्वी का दोग्धा), वा.रामायण ४.१२(राम द्वारा ७ साल वृक्षों का भेदन ), लक्ष्मीनारायण २.३६.३८, saala/ sala
सालकटङ्कटा वा.रामायण ७.४.२३(सन्ध्या - पुत्री, विद्युत्केश - पत्नी, सुकेश - माता ) saalakatankataa/ salakatankataa