सहदेव-साध्य

Puraanic contexts of words like Sahadeva, Sahasranaama, Sahsraaksha, Sahasraarjuna, Saagara, Saankhya / Samkhya, Saadhu, Saadhya etc. are given here.

सहदेव गर्ग १०.२६, ब्रह्मवैवर्त्त १.१६.१८, भविष्य ३.२.३६, ३.३.१(सहदेव का कलियुग में देवसिंह रूप में अवतरण), मत्स्य ४६.१६, स्कन्द ५.३.२०९.६०(सोमशर्मावैश्य का मित्र, विश्वासघात करके सोमशर्मा को समुद्र में फेंकना, जन्मान्तर में क्षुद्र योनियों में जन्म, अन्त में भारवाहक योनि में नर्मदा स्नान से मुक्ति), लक्ष्मीनारायण१.२०२.७(१६ चिकित्सकों में से एक ) sahadeva

सहरक्ष मत्स्य ५१.६(पावक अग्नि का पुत्र, असुरों की अग्नि), ५१.३१(संवर्तक अग्नि - पुत्र, मनुष्य गृहों में वास, कामना पूरक, क्रव्याद अग्नि - पिता), शिव ७.१.१७.३९, लक्ष्मीनारायण ३.३२.६(पावक - पुत्र), ३.३२.१९(सहरक्षा : वडवा - पुत्र, क्षाम - पिता ) saharakshaa

सहस्र गणेश १.५६.६(सहस्र नगर में राजा शूरसेन की कथा), वामन ९०.३७(सहस्र तीर्थ में विष्णु का मुसला दानव नाम? ) sahasra

सहस्रचित लक्ष्मीनारायण ३.७४.६४,

सहस्रजित् गर्ग ७.१०.३१(कर्णाटक के राजा सहस्रजित् द्वारा प्रद्युम्न को भेंट), स्कन्द १.२.२.७७( सहस्रजित् राजा द्वारा ब्राह्मण के लिए प्राणदान का उल्लेख), लक्ष्मीनारायण २.२४४.८१(सहस्रजित् राजा द्वारा ब्राह्मण हेतु स्वप्राणों के दान का उल्लेख ) sahasrajit

सहस्रधारा स्कन्द २.८.२(शेषनाग द्वारा निर्मित तीर्थ), द्र. धारा

सहस्रनाम कूर्म १.१२.६२(हिमवान् - प्रोक्त पार्वती सहस्रनाम), गणेश १.४६.१(गणपति सहस्रनाम स्तोत्र), गरुड १.१५(विष्णु सहस्रनाम), गर्ग ४.१९(सौभरि - प्रोक्तयमुना सहस्रनाम), ८.१३(बलभद्र सहस्रनाम), १०.५९(गर्ग व उग्रसेन संवाद में कृष्ण सहस्रनाम), देवीभागवत १२.६(गायत्री सहस्रनाम), नारद १.८२(राधाकृष्णसहस्रनाम), १.८९(ललिता सहस्रनाम), पद्म ६.७१(विष्णु सहस्रनाम), ब्रह्म १.३८(शिव सहस्रनाम), लिङ्ग १.६५(रुद्र सहस्रनाम), १.९८(विष्णु - प्रोक्त शिवसहस्रनाम), वायु ३०.१८१(यज्ञ विध्वंस के पश्चात् दक्ष - प्रोक्त शिव सहस्रनाम), शिव ४.३५(शिव सहस्रनाम), स्कन्द २.५.१०(विष्णु सहस्रनाम), ४.१.२९(गङ्गासहस्रनाम), ५.१.६३.७५(विष्णु सहस्रनाम), महाभारत अनुशासन १७, १४९, लक्ष्मीनारायण २.२४०, ३.३८.२४(नारायण सहस्रनाम), ३.१०८(कृष्ण सहस्रनाम ) sahasranaama/ sahasranama

सहस्रनयन वामन ५८.५७(सहस्रनयन द्वारा शूल से असुर संहार), योगवासिष्ठ ३.९९.३३(सहस्रनेत्र चेतना की अनन्ताकृति का प्रतीक होने का उल्लेख ) sahasranayana

सहस्रपाद वामन ९०.३७(सहस्रचरण : तल में विष्णु का सहस्रचरण नाम), लक्ष्मीनारायण ३.८.५४(अतल के सहस्रपाद राजा सामरायधन का विष्णु से युद्ध, विष्णु द्वारापादों का कर्तन ) sahasrapaada/ sahasrapada

सहस्रबाहु नारद १.७६, भागवत ९१५, वामन ५७.७६(सीता नदी द्वारा कुमार को सहस्रबाहु गण प्रदान का उल्लेख), स्कन्द ५.३.२१८, ६.६६, लक्ष्मीनारायण३.८.४९(विष्णु द्वारा सुदर्शन चक्र से सुतल के सहस्रबाहुओं वालेv राजा कपालहेतुक की भुजाओं का कर्तन ), द्र. सहस्रार्जुन, कार्तवीर्य sahasrabaahu/ sahasrabahu

सहस्रयज्ञ स्कन्द ५.३.२३१.१८,

सहस्रशिर वामन ९०.३५(रसातल में विष्णु के नामों में से एक),

सहस्रशृङ्ग हरिवंश ३.३५.१०

सहस्राक्ष गर्ग १.१४(राजा सहस्राक्ष का दुर्वासा के शाप से तृणावर्त असुर बनना), ब्रह्मवैवर्त्त ३.४०.१, ४.४७, मत्स्य १३, वामन ९०.४३(शाक द्वीप में विष्णु का सहस्राक्षनाम), वायु ७.६१/१.७.५६(ब्रह्मा का सहस्राक्ष सहस्रपात् पुरुष के रूप में उल्लेख), स्कन्द ४.१.१०(सहस्राक्ष की पुरी का वर्णन, सहस्राक्ष पुरी प्रापक कर्म ),५.३.१९८.७२, लक्ष्मीनारायण १.३०८, sahasraaksha

सहस्रानीक स्कन्द ३.१.५(शतानीक - पुत्र, विधूम वसु का शापित रूप, मृगावती - पति, पत्नी वियोग के शाप की प्राप्ति, उदयन - पिता ), लक्ष्मीनारायण १.४३४,कथासरित् २.१.११, ६.४.४४, sahasraaneeka/ sahasranika

सहस्रायुध कथासरित् ८.१.५८

सहस्रार्जुन पद्म १.११, भागवत ९.१५(दत्तात्रेय की कृपा से सहस्रार्जुन द्वारा सहस्रबाहुओं की प्राप्ति, जमदग्नि से कामधेनु का हरण, परशुराम द्वारा वध ), विष्णु ४.११,स्कन्द ५.३.२१८, लक्ष्मीनारायण १.२४४, १.४५७, sahasraarjuna/ sahasrarjuna

सहिष्णु लिङ्ग १.२४.११८(२६वें द्वापर में मुनि), वायु २३.२१२(२६वें द्वापर में शिव अवतार ), शिव ७.१.१७.२७, द्र. मन्वन्तर, वंश पुलह sahishnu

सहोड्डीन भविष्य ३.३.३२.२३८(बलि - सेनानी, पृथ्वीराज से युद्ध में पृथ्वीराज को बन्दी बनाना, लोकप्रचलित नाम शाहबुद्दीन गौरी),

सहोद भविष्य ३.३.३१.१४०(म्लेच्छ राजा, बलि - सेनानी, विद्युन्माला पर आसक्ति, कृष्णांश से पराजय),

सह्य गर्ग ७.१४(, देवीभागवत ७.३०(सह्य पर्वत पर एकवीरा देवी के वास का उल्लेख), भविष्य ३.३.३१.१२९(सह्य गिरि पर कर्बुर राक्षस व कृष्णांश का युद्ध), मत्स्य१३, ११४.२९(सह्य पर्वत से उद्भूत नदियां), वराह ८५(सह्य पर्वत से उद्भूत नदियां), वामन ९०.११(सह्य पर्वत पर विष्णु का वैकुण्ठ नाम से वास ), स्कन्द१.२.४५.१०९, ५.३.१९८.७७, योगवासिष्ठ ५.६५, द्र. भूगोल sahya

सांवौर स्कन्द ५.३.१६४(व्याधि से मुक्ति हेतु सांवौर तीर्थ का माहात्म्य),

साकेत लक्ष्मीनारायण १.३१६

साक्षात्कृत लक्ष्मीनारायण ३.१६.१,

साक्षी अग्नि २५५(साक्षी धर्म की विवेचना), नारद १.१५.१०७(कूट साक्षी कथन पर पाप फल), भागवत ६.१.४२(देहधारियों के कर्म के साक्षियों के रूप में सूर्य, अग्नि, सं, कंआदि नाम), विष्णुधर्मोत्तर ३.३२७(साक्षी द्वारा निर्णय ) saakshee/sakshi

सागर गरुड २.२२.६२(शरीर की धातुओं में सागरों की स्थिति), गर्ग २.२६(विरजा के सात पुत्रों का माता के शाप से सप्त सागर बनना), ब्रह्माण्ड ३.५६(सागर कीनिरुक्ति), भविष्य ४.१८२(सप्त सागर दान विधि), मत्स्य १७२(नारायण का रूप, उपमा), २८७(सप्त सागर दान विधि), विष्णु ४.४.३३, विष्णुधर्मोत्तर ३.१४५(सागरव्रत),स्कन्द ४.२.६६.१७(चतु:सागर वापिका का संक्षिप्त माहात्म्य), ४.२.८३.६५(सप्तसागर तीर्थ का संक्षिप्त माहात्म्य), ५.३.८३.१०७, ७.१.१२८(सगर - पुत्रोंद्वारा खनन से सागर की उत्पत्ति, सगर द्वारा तप से सागरादित्य की स्थापना), योगवासिष्ठ ५.७६(संसार सागर), वा.रामायण ३.३१.४६(राम की सागर से उपमा),६.७.२०(देव - सेना की सागर से उपमा), लक्ष्मीनारायण ३.१३२, ३.१७५.२(संसार सागर ), ३.१८३.१(, ३.२०८.१, ४.२९, ४.७१, कथासरित् ९.२.३२०, saagara/ sagara

साङ्काश्या वा.रामायण १.७०,

साङ्कृति स्कन्द ६.२३१, लक्ष्मीनारायण २.२४४.७४(साङ्कृति द्वारा शिष्यों को विद्या दान का उल्लेख ), कथासरित् २.६.७१साङ्कृत्यायनी, द्र. सङ्कृतिsaankriti/ sankriti/ saamkriti

साङ्ख्य कूर्म २.३९.४९(साङ्ख्य दर्शन का निरूपण), नारद १.४५(पञ्चशिख मुनि द्वारा जनक को साङ्ख्य का उपदेश), ब्रह्म १.१२८, १.१३२, भागवत ५.१८.३१(कूर्मभगवान् में संख्या के अभाव का कथन), ११.२४(साङ्ख्य पर कृष्ण - उद्धव संवाद), मत्स्य ३(तन्मात्राओं का प्राकट्य), वराह ११४, शिव २.३.१३(शिव - पार्वती विवाद),स्कन्द ४.२.८४.३०(साङ्ख्य तीर्थ का संक्षिप्त माहात्म्य ), ५.१.७.१७, ७.२.१८, महाभारत शान्ति २३६, ३००, ३०१, ३०६, ३१०, ३१९.१६(सम्यग्वध/सांख्य शास्त्र कानिरूपण ) लक्ष्मीनारायण ३.१३७, saankhya/ sankhya/ samkhya

साण लक्ष्मीनारायण २.६.५४

सातवाहन कथासरित् १.६.६६, १.६.९७,

सात्यकि गर्ग १.५.२६(प्रह्लाद का अंश), १०.४९.१९(अनिरुद्ध - सेनानी, दुर्योधन से युद्ध), भागवत १०.६३(सात्यकि का बाण से युद्ध), ११.३०(सात्यकि काअनिरुद्ध से युद्ध), हरिवंश २.७३(पारिजात हरण प्रसंग में सात्यकि का प्रवर से युद्ध), ३.९५+ (सात्यकि का पौण्ड्रक - सेना व पौण्ड्रक से युद्ध), ३.११७+ (कृष्ण केदूत के रूप में सात्यकि का शाल्व नगर में हंस से संवाद ) saatyaki/ satyaki

सात्वक पद्म ५.४७(सात्वक मुनि द्वारा तप, गन्धर्व बनना?, मुनियों के शाप से राक्षस बनना, राम के यज्ञीय अश्व का स्तम्भन, मुक्ति ) saatvaka/ satvaka

सात्वत नारद १.६६.९४(सात्वत विष्णु की शक्ति मुक्ति का उल्लेख), मत्स्य ४४.४५(जन्तु व ऐक्ष्वाकी - पुत्र, कौसल्या - पति, ६ पुत्रों के नाम), वायु ९६.१(सात्वत वंश कावर्णन ), लक्ष्मीनारायण १.३९०, saatvata/ satvata

साधक शिव १.३(साधन व साध्य, ब्रह्मकृत), १.४(मुक्ति साधक, कीर्तनादि), स्कन्द ७.१.१०६(साधना के स्तर के अनुसार साधक के भेद, नाम ) saadhaka/ sadhaka

साधु भविष्य ३.२.२८(लीलावती - पति साधु वणिक् द्वारा सत्यनारायण व्रत कथा से कलावती पुत्री की प्राप्ति), ३.२.२९(राजा द्वारा साधु वणिक् का कारागार में बन्धन,मुक्ति, गृह आगमन), लिङ्ग १.१०.८(साधुओं के प्रकार), वायु ५९.२३(साधुओं के प्रकार), लक्ष्मीनारायण १.१९(साधु पुरुष की महिमा का वर्णन), १.२८३.३९(साधु केनौकाओं में अनन्यतम होने का उल्लेख), २.२२२.२७(साधु के शरीर की पवित्रता का वर्णन, साधु की समस्त देह के पुण्य होने का वर्णन ), २.२६८.१७, ३२९, ३.४५.२०,३.६३.४५, ३.८०.६०, ३.८३.२८, ३.८४.२१, ३.८७, ३.९८.४१, ३.१२३.९, ३.१६९.८१(साधुभावायन , ३.१८६.५५, ३.१८९.७२, ३.२०४.२०, ४.१०१.२२saadhu/ sadhu

साध्य नारद १.१२१.५१(साध्य द्वादशी व्रत की विधि : १२ साध्यों के नाम), पद्म १.४०.८६(साध्य गण की साध्या व धर्म से उत्पत्ति, १९ साध्यों के नाम), ६.७६.१०(साध्य गण में पञ्चम साध्य के रूप में विष्णु का उल्लेख), ब्रह्माण्ड २.३.३.१७(साध्य गण में १२ नाम, तुषितगण की साध्यों से एकता), २.३.३.५८(चाक्षुष मन्वन्तर में साध्यों की वैकुण्ठ संज्ञा होने का उल्लेख), २.३.१०.८८(साध्यों द्वारा अङ्गिरस-पुत्रों के संवर्धन का उल्लेख), भविष्य १.१२५.१५(साध्यों के नाम), भागवत २.३.४(प्रजा को अनुकूल बनाने की कामना हेतु साध्यों की उपासना), ६.६.८(साध्या से साध्यगण व साध्यगण से अर्थसिद्धि के जन्म का उल्लेख), मत्स्य ४, ५, १२३.४०(पुष्करद्वीप में ब्रह्मा के साध्योंसहित निवास का उल्लेख), १७१.४२(साध्य गण की धर्म व साध्या से उत्पत्ति, नाम), २०३.१०(१२ साध्य गण के नाम), लिङ्ग २.१.५३(कौशिक - शिष्यों का हरिगान से साध्य देव बनना), वामन ६९.५९(साध्यों व मरुद्गणों के निवातकवच आदि से युद्ध का उल्लेख), वायु ६६.९(जय देवगणों का चाक्षुष मन्वन्तर में नाम, अन्य मन्वन्तरों में तुषित आदि), १०१.३०/२.३९.३०(साध्यों आदि की भुव:लोक में स्थिति का उल्लेख), विष्णुधर्मोत्तर १.५६.११(विष्णु के साध्यों में नारायण होने का उल्लेख), १.१२०.३(विष्णु के अंश, अदिति के गर्भ से १२ आदित्यों के रूप में जन्म), १.१२९.१(नर – नारायण का साध्य-द्वय के रूप में उल्लेख), ३.१८१(साध्य व्रत, १२ साध्यों के नाम), ३.२२१.१८(तृतीया तिथि को १२ साध्य देवों की पूजा का निर्देश), शिव ३.५.७(१२वें द्वापर में शिव अवतार के चार पुत्रों में से एक), स्कन्द १.२.१३.१८७(शतरुद्रिय प्रसंग में साध्यों द्वारा भर्तृमय लिङ्ग की विश्वपति नाम से पूजा), १.२.१३.१७३(शतरुद्रिय प्रसंग में साध्यों द्वारा सप्तलोकमय लिङ्ग की बहुरूप नाम से पूजा का उल्लेख), ३.१.२८.८६(साध्य - अमृत तीर्थ का माहात्म्य, पुरूरवा को पुन: उर्वशी प्राप्ति की कथा), ३.१.४९.८४(साध्यों द्वारा रामेश्वर की स्तुति), ५.३.८३.१०६(गौ के दन्तों में मरुद्गणों व साध्यों की स्थिति का उल्लेख), ५.३.१९२.९(साध्या व दक्ष के ४ पुत्रों के नाम), हरिवंश ३.५२.५२(देवगण, इन्द्र - सेनानी, वैभव का वर्णन), ३.५३.१७(साध्यों का एकचक्र से युद्ध), महाभारत शान्ति ३१७.२(जानुद्वय से प्राणों के उत्क्रमण पर साध्यों के लोक की प्राप्ति का उल्लेख), ३२८.३२(७ वायुमार्गों में साध्यों की स्थिति, समान-पिता), अनुशासन १७.१७८(साध्य नारायण द्वारा यम को शिवसहस्रनाम का कथन), स्वर्गारोहण १.५(मृत्यु - पश्चात् दुर्योधन का साध्यगण के बीच सुशोभित होना), वा.रामायण ६.११७.८(साध्यों में पञ्चम साध्य के सर्वश्रेष्ठ होने का उल्लेख), लक्ष्मीनारायण २.२७.६३, २.२७.१०६(साध्य ह्रदय से चन्दन की उत्पत्ति ), ३.५३.१००, ३.१०१.७०, saadhya/ sadhya

Vedic references on Saadhya