फिर आई फस्ले गुल फिर जख़्मदह रह-रह के पकते हैं / भारतेंदु हरिश्चंद्र - Dec 03, 2019 3:6:40 AM
आ गई सर पर कज़ा लो सारा सामाँ रह गया / भारतेंदु हरिश्चंद्र - Dec 03, 2019 3:7:19 AM
अजब जोबन है गुल पर आमदे फ़स्ले बहारी है / भारतेंदु हरिश्चंद्र - Dec 03, 2019 3:8:10 AM
गले मुझको लगा लो ए दिलदार होली में / भारतेंदु हरिश्चंद्र - Dec 03, 2019 3:8:37 AM
फिर मुझे लिखना जो वस्फ़-ए-रू-ए-जानाँ हो गया / भारतेंदु हरिश्चंद्र - Dec 03, 2019 3:9:4 AM
रहे न एक भी बेदाद-गर सितम बाक़ी / भारतेंदु हरिश्चंद्र - Dec 03, 2019 3:9:32 AM
बुत-ए-काफ़िर जो तू मुझ से ख़फ़ा है / भारतेंदु हरिश्चंद्र - Dec 03, 2019 3:10:3 AM