भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार की स्थापना साल 1965 में की गयी थी। देश का कोई भी व्यक्ति जो भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में बताई गई 22 भाषाओं में से किसी भी भाषा में लिखता हो इस पुरस्कार के योग्य है। अब तक हिन्दी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक 7 बार इस सम्मान को प्राप्त कर चुके हैं। साल 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
इसमें पुरस्कार स्वरूप 11 लाख रुपये, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा
प्रदान की जाती है। जब वर्ष 1965 में ज्ञानपीठ पुरस्कार की स्थापना हुई थी, तो उस समय पुरस्कार राशि मात्र एक लाख रुपये थी। वर्ष 2005 में पुरस्कार राशि को एक लाख रुपये से बढाकर सात लाख रुपये कर दिया गया, जो वर्तमान में ग्यारह लाख रुपये हो चुकी है।
मलयालम के प्रमुख कवि अक्कीथम को 55वें ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए चुना गया है। ज्ञानपीठ चयन बोर्ड ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की। बोर्ड ने बयान जारी कर कहा, ”ज्ञानपीठ चयन बोर्ड ने एक बैठक में आज 55 वें ज्ञानपीठ पुरस्कार 2019 के लिए मलयालम के प्रसिद्ध भारतीय कवि अक्कीथम को चुना है।
अक्कीथम का नाम मलयालम कविता जगत में आदर के साथ लिया जाता है। उनका जन्म 1926 में हुआ था और पूरा नाम अक्कीथम अच्युतन नम्बूदिरी है और वह अक्कीथम के नाम से लोकप्रिय हैं।
उन्होंने 55 पुस्तकें लिखी हैं जिनमें से 45 कविता संग्रह है। पद्म पुरस्कार से सम्मानित अक्कीथम को सहित्य अकादमी पुरस्कार, केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार (दो बार) मातृभूमि पुरस्कार, वायलर पुरस्कार और कबीर सम्मान से भी नवाजा जा चुका है।
अक्कीथम अभी तक 55 किताबें लिख चुके हैं जिनमें 45 कविता संग्रह हैं । इनमें से कुछ चर्चित किताबे- खंड काव्य, कथा काव्य, चारित्र काव्य और गीत। उनकी कुछ प्रसिद्ध कृतियों में वीरवदाम, बालिदर्शनम, निमिषा क्षेठ्राम, अमृता खटिका, अक्खितम कविताखका, महाकाव्य ऑफ ट्वेंटीथ सेंचुरी और अंतिमहकलम शामिल हैं।
वर्ष 2018 का 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार अंग्रेजी के प्रतिष्ठित साहित्यकार अमिताव घोष को प्रदान किया जाएगा। अमिताव घोष देश के सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार से सम्मानित होने वाले अंग्रेजी के पहले लेखक है। 14 दिसम्बर 2018 को प्रतिभा रॉय की अध्यक्षता में आयोजित ज्ञानपीठ चयन समिति की बैठक में अमिताव घोष को साल 2018 के लिए 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार देने का निर्णय लिया गया था। पुरस्कार के रूप में उन्हें वाग्देवी की प्रतिमा, 11 लाख रुपए और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा। उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘द सर्किल ऑफ रीजन’, ‘दे शेडो लाइन’, ‘द कलकत्ता क्रोमोसोम’, ‘द ग्लास पैलेस’, ‘द हंगरी टाइड’, ‘रिवर ऑफ स्मोक’ और ‘फ्लड ऑफ फायर’ शामिल है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अंग्रेजी को तीन साल पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार की भाषा के रूप में शामिल किया गया था। हिन्दी की प्रतिष्ठित लेखिका कृष्णा सोबती को वर्ष 2017 के प्रतिष्ठित 53वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।