Post date: Dec 03, 2019 2:35:25 AM
होन लागे केकी, कुहकार कुंज कानन मैं,
झिल्ली-झनकार, दबि देह दहने लगे।
दौरि-दौरि धुरवा, धुधारे मारे भूधर से,
भूधर भ्रमाय, चित चोय चहने लगे॥