तिनका बयारि के बस स्वामी हरिदास के पद Haridas Ke Pad
जौं लौं जीवै तौं लौं हरि भजु स्वामी हरिदास के पद Haridas Ke Pad
ज्यौंहिं ज्यौंहिं तुम रखत हौं स्वामी हरिदास के पद Haridas Ke Pad
श्री वल्लभ कृपा निधान अति उदार करुनामय स्वामी हरिदास के पद Haridas Ke Pad
श्री वल्लभ मधुराकृति मेरे स्वामी हरिदास के पद Haridas Ke Pad
डोल झूले श्याम श्याम सहेली स्वामी हरिदास के पद Haridas Ke Pad
प्रेम समुद्र रुप रस गहिरे स्वामी हरिदास के पद Haridas Ke Pad
हरि के नाम को आलस क्यों करत है रे स्वामी हरिदास के पद Haridas Ke Pad
काहू को बस नाहिं तुम्हारी कृपा तें स्वामी हरिदास के पद Haridas Ke Pad
पूरा नाम
जन्म
जन्म भूमि
मृत्यु
मृत्यु स्थान
अभिभावक
कर्म भूमि
कर्म-क्षेत्र
नागरिकता
अन्य जानकारी
स्वामी हरिदास
भाद्रपद शुक्ल पक्ष अष्टमी 1535 विक्रम सम्वत् (अनुमानित)
1630 विक्रम सम्वत् (अनुमानित)
श्री आशुधीर और श्रीमती गंगादेवी
भक्त कवि, शास्त्रीय संगीतकार, सखी संप्रदाय प्रवर्तक
भारतीय
प्रसिद्ध गायक तानसेन इनके शिष्य थे। सम्राट अकबर इनके दर्शन करने वृंदावन गए थे। 'केलिमाल' में इनके सौ से अधिक पद संग्रहित हैं।