Post date: Nov 23, 2019 5:9:3 AM
हरि हरि हरि हरि रट रसना मम।
पीवति खाति रहति निधरक भई होत कहा तो को स्त्रम॥
तैं तो सुनी कथा नहिं मोसे, उधरे अमित महाधम।
ग्यान ध्यान जप तप तीरथ ब्रत, जोग जाग बिनु संजम॥
हेमहरन द्विजद्रोह मान मद, अरु पर गुरु दारागम।
नामप्रताप प्रबल पावकके, होत जात सलभा सम॥
इहि कलिकाल कराल ब्याल, बिषज्वाल बिषम भोये हम।
बिनु इहि मंत्र गदाधरके क्यों, मिटिहै मोह महातम॥