छाये नभमंडल मैं, सलज सघन घन / लाल कवि -
वन प्रभु पुंजन मैं, मालती निकुंजन मैं / लाल कवि -
होन लागे केकी, कुहकार कुंज कानन मैं / लाल कवि -
लाल लखौ पावस प्रताप जगती तल पैं / लाल कवि -
सिंधु के सपूत, सिंधु तनया के बंधु / लाल कवि -
बडभाग सुहाग भरी पिय सों / लाल कवि -