अमीर खुसरो
Amir Khusrow Parichay अमीर खुसरो परिचय
अबुल हसन यमीनुद्दीन अमीर ख़ुसरो (1253-1325) चौदहवीं सदी के लगभग दिल्ली के निकट रहने वाले एक प्रमुख कवि, शायर, गायक और संगीतकार थे।[1] उनका परिवार कई पीढ़ियों से राजदरबार से सम्बंधित था I स्वयं अमीर खुसरो ने 8 सुल्तानों का शासन देखा था I अमीर खुसरो प्रथम मुस्लिम कवि थे जिन्होंने हिंदी शब्दों का खुलकर प्रयोग किया है I वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने हिंदी, हिन्दवी और फारसी में एक साथ लिखा I उन्हे खड़ी बोली के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है I वे अपनी पहेलियों और मुकरियों के लिए जाने जाते हैं। सबसे पहले उन्हीं ने अपनी भाषा के लिए हिन्दवी का उल्लेख किया था। वे फारसी के कवि भी थे। उनको दिल्ली सल्तनत का आश्रय मिला हुआ था। इन्होंने बहुत सारे ग्रंथ लिखे। साथ ही इनका इतिहास स्रोत रूप में महत्त्व है। अमीर खुसरो को तोता-ए-हिंद कहा जाता है
बूझ पहेली (अंतर्लापिका) / अमीर खुसरो Boojh Paheli (Antarlapika) Amir Khusro
बिन-बूझ पहेली (बहिर्लापिका) / अमीर खुसरो Bin-Boojh Paheli (Bahirlaapika) Amir Khusro
ढकोसले या अनमेलियाँ / अमीर खुसरो Dhakosle Ya Anmeliyan Amir Khusro
Apni Chhavi Banai Ke Jo Main Pi Ke Paas Gayi Amir Khusro Geet Kavita
दैया री मोहे भिजोया री शाह निजम के रंग में। अमीर खुसरो गीत कविता
Daiya Ri Mohe Bhijoya Ri Shah Nizam Ke Rang Mein Amir Khusro Geet Kavita
Jo Piya Aawan Keh Gaye Ajahun Na Aaye Amir Khusro Geet Kavita
परदेसी बालम धन अकेली मेरा बिदेसी घर आवना अमीर खुसरो गीत कविता
Pardesi Balam Dhan Akeli Mera Bidesi Ghar Aawna Amir Khusro Geet Kavita