Post date: Dec 03, 2019 3:7:19 AM
आ गई सर पर क़ज़ा[1] लो सारा सामाँ रह गया ।
ऐ फ़लक क्या-क्या हमारे दिल में अरमाँ[2] रह गया ।
बाग़बाँ है चार दिन की बाग़े आलम में बहार ।
फूल सब मुरझा गए खाली बियाबाँ रह गया ।
इतना एहसाँ और कर लिल्लाह[3] ऐ दस्ते जनूँ[4] ।
बाक़ी गर्दन में फ़कत तारे गिरेबाँ[5] रह गया ।
याद आई जब तुम्हारे रूप रौशन की चमक ।
मैं सरासर सूरते आईना हैराँ रह गया ।
ले चले दो फूल भी इस बाग़े आलम से न हम ।
वक़्त रेहलत[6] हैफ़[7] है खाली हि दामाँ रह गया ।
मर गए हम पर न आए तुम ख़बर को ऐ सनम ।
हौसला सब दिल का दिल ही में मेरी जाँ रह गया ।
नातवानी[8] ने दिखाया ज़ोर अपना ऐ 'रसा' ।
सूरते नक्शे क़दम मैं बस नुमायाँ[9] रह गया ।
शब्दार्थ
1 मौत
2 इच्छा
3 ईश्वर के लिए
4 पाग़लपन
5 कंठी
6 महायात्रा
7 शोक
8 कमज़ोरी, दुर्बलता
9 सिर्फ़ दिखाई देने लायक, नाम भर को बाक़ी