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हिंदू धर्म में दिवाली का खास महत्व है। हिंदू पंचांग / Panchang के अनुसार, कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दिवाली मनाई जाती है। इस साल कार्तिक अमावस्या 04 नवंबर, गुरुवार को है। दिवाली पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश जी का पूजन किया जाता है।
लक्ष्मी पूजन / Laxmi Pujan के लिए इस साल चार ग्रहों के एक ही राशि में होने से शुभ योग बन रहा है। दिवाली पर तुला राशि में सूर्य, बुध, मंगल और चंद्रमा मौजूद रहेंगे। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस शुभ योग में पूजा होने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा अपने भक्तों पर रहेगी।
अमावस्या तिथि 04 नवंबर को सुबह 06 बजकर 03 मिनट से शुरू होकर 05 नवंबर को सुबह 02 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी। दिवाली पर लक्ष्मी पूजन मुहूर्त शाम 06 बजकर 09 मिनट से रात 08 बजकर 20 मिनट तक है।
तुला राशि के स्वामी शुक्र हैं। लक्ष्मी जी की पूजा से शुक्र ग्रह की शुभता में वृद्धि होती है। ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को सुख-सुविधाओं आदि का कारक माना गया है। वहीं सूर्य को ग्रहों का राजा, मंगल को ग्रहों का सेनापति और बुध को ग्रहों का राजकुमार कहा गया है। इसके साथ ही चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। वहीं सूर्य पिता तो चंद्रमा को माता कारक माना गया है। दिवाली/Diwali पर तुला राशि में होने से लोगों को शुभ परिणाम प्राप्त होने वाला है। इसके लिए आपको शुभ मुहूर्त पर और पूर्ण विधि के अनुसार ही पूजा करनी होगी।
र्वप्रथम पूजा का संकल्प लें
श्री गणेश, लक्ष्मी, सरस्वती जी के साथ कुबेर का पूजन करें
ऊं श्रीं श्रीं हूं नम: का 11 बार या एक माला का जाप करें
एकाक्षी नारियल या 11 कमलगट्टे पूजा स्थल पर रखें
श्रीयंत्र की पूजा करें और उत्तर दिशा में प्रतिष्ठापित करें।
मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए फलों में आप लक्ष्मी जी की पूजा में सिंघाड़ा, अनार, श्रीफल आदि अर्पित कर सकते हैं। दिवाली की पूजा में सीताफल को भी रखा जाता है। इसके अलावा दिवाली की पूजा में कुछ लोग ईख भी रखते हैं। सिंघाड़ा भी नदी के किनारे पाया जाता है इसलिए मां लक्ष्मी को सिंघाड़ा भी बहुत पसंद है। मिष्ठान में मां लक्ष्मी को केसर भात, चावल की खीर जिसमें केसर पड़ा हो, हलवा आदि भी बहुत पसंद हैं।