Post date: Dec 01, 2019 3:42:56 PM
रावन को बीर 'सेनापति रघुबीर जू की,
आयो है सरन, छाँडि ताही मद अंध को।
मिलत ही ताको राम, कोपि कै करी है ओप,
नाम जोय दुर्जन-दलन दीनबंध को॥
देखो दानबीरता, निदान एक दान ही में,
कीन्हें दोऊ दान, को बखानै सत्यसंध को।
लंका दसकंधर की दीनी है बिभीषन को,
संका विभीषन की सो, दीनी दसकंध को।