Post date: Dec 01, 2019 3:40:43 PM
बालि को सपूत कपिकुल पुरहूत,
रघुवीर जू को दूत धरि रूप विकराल को.
युद्ध मद गाढ़ो पाँव रोपि भयो ठाढ़ो,
सेनापति बल बाढ़ो रामचंद्र भुवपाल को.
कच्छप कहलि रह्यो, कुंडली टहलि रह्यो,
दिग्गज दहलि त्रास परो चकचाल को.
पाँव के सुरत अति भार के परत भयो,
एक ही परत मिलि सपत पताल को.